भोपाल- 08 फरवरी। मध्य प्रदेश के हरदा जिले के बैरागढ़ गांव स्थित पटाखा फैक्ट्री में मंगलवार को हुए विस्फोट के बाद प्रशासन ने 11 मौतों को आखिरी आंकड़ा बताते हुए बुधवार को ही बचाव अभियान पूर्ण होने की घोषणा कर दी थी, लेकिन यह गलत साबित हुई। पटाखा फैक्ट्री से कुछ ही दूरी पर गुरुवार को एक मकान से महिला का शव बरामद किया गया। हरदा के सिविल सर्जन मनीष शर्मा ने बताया कि एक और शव मिलने के बाद मरने वालों को संख्या 12 हो गई है। इनमें से 10 शवों कि शिनाख्त हो चुकी है तो वहीं दो की पहचान होना अभी बाकी है।
गुरुवार को जिला प्रशासन ने फिर आसपास के घरों और खेतों में तलाशी अभियान चलाया गया। इस दौरान महिला का क्षत-विक्षत शव बरामद हुआ। इसके अलावा विस्फोट स्थल पर पोकलेन से खोदाई के दौरान बड़ी मात्रा में पीला विस्फोटक मिलने के बाद अमला सतर्क हो गया। मौके पर टैंकरों से पानी डाला गया। हादसे के बाद सक्रिय हुए प्रशासन ने जिले में आठ पटाखा फैक्ट्रियों को सील किया है।
पटाखा फैक्ट्री के उत्तर दिशा में गुरुवार पोकलेन मशीन से खोदाई शुरू हुई। कुछ देर तक ईंट, बोल्डर और लोहे के सरियों सहित अन्य मलबा निकलता रहा। करीब आधा घंटा बाद बड़ी मात्रा में पीला विस्फोटक मिलने लगा। कुछ ही देर में करीब 50 किलो पीले विस्फोटक का ढेर लग गया। विस्फोटक को पानी से गीला कर उसके ऊपर मिट्टी और मुरम डालकर दबाया गया।
घटनास्थल से करीब दो किमी दूर रहटाखुर्द में आरोपित सोमेश अग्रवाल की दूसरी फैक्ट्री में सूख रहे रस्सी बम सहित पटाखों को फायर ब्रिगेड टीम ने पानी से गीला कर नष्ट किया। बता दें कि बैरागढ़ में आरोपित राजेश अग्रवाल व सोमेश अग्रवाल की दो-दो पटाखा फैक्ट्रियां विस्फोट से पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। प्रशासन ने इन फैक्ट्रियों के शासन के दिशा-निर्देशों और मापदंडों का पालन नहीं करने को लेकर कार्रवाई की बात कही है।
प्रशासन ने पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके से क्षतिग्रस्त मकानों का सर्वे शुरू कर दिया है। सर्वे दल आसपास के घरों तक जाकर वहां विस्फोट की घटना के कारण हुई क्षति का आकलन कर रहे हैं। प्रभारी कलेक्टर रोहित सिसोनिया ने बताया कि प्रत्येक प्रभावित परिवार को शासन के प्रविधानों के अनुसार हरसंभव मदद दिलाई जाएगी।
तीसरे दिन भी भटकते रहे लापता श्रमिकों के स्वजन
पटाखा फैक्ट्री विस्फोट के बाद से लापता दो पुरुष एवं दो महिला श्रमिकों के स्वजन गुरुवार को भी उनकी तलाश में भटकते रहे, लेकिन उनका कहीं कोई पता नहीं चला। इस बीच खंडहरनुमा मकान में मिले शव की भी पहचान नहीं हुई है। पटाखा फैक्ट्री में साथ काम करने वाले खरगोन के धारा सिंह और सुनीता में से धारा सिंह विस्फोट के बाद से लापता है। सुनीता बुधवार को दिनभर अकेली भटक रही थीं।
गुरुवार को धारा के भाई संजू भी हरदा पहुंच गए। वे भाभी के साथ यहां-वहां पूछताछ करते रहे, लेकिन धारा सिंह का कहीं पता नहीं चला। वहीं फैक्ट्री में काम करने के दौरान चपेट में आए आबिद और उनकी मां जुनैबा बी में से केवल आबिद का शव मिला है, जबकि करीब 56 घंटे बीतने के बाद भी जुनैबा बी का पता नहीं चल सका है।
इसी तरह खरगोन के तिरी गांव निवासी कैलाश खमरे और हरदा की शुक्ला कालोनी निवासी सकुन बाई भी गुमशुदा है। सभी के स्वजनों का कहना है कि ये लोग फैक्ट्री के अंदर ही थे। ऐसे में इनके इसी मलबे में दबे होने की आशंका है।