यरुशलम- 09 अक्टूबर। इजराइल पर हमास के हमले पर मुस्लिम देश बंटते नजर आ रहे हैं। ईरान और इराक ने इस्लामिक सहयोग संगठन की बैठक बुलाई है, वहीं संयुक्त अरब अमीरात ने इस मसले पर इजराइल का समर्थन किया है।
ईरान ने इजरायली बलों की घुसपैठ और छापे के मद्देनजर फिलिस्तीन की स्थिति पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के आपातकालीन सत्र का आह्वान किया है। अपने इंडोनेशियाई समकक्ष जोको विडोडो के साथ टेलीफोन पर बातचीत में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने कहा कि फिलिस्तीनियों के अधिकारों का समर्थन और इज़राइल से लड़ना इस्लामिक उम्माह की संरचना में एक अपरिवर्तनीय सिद्धांत है। उन्होंने फिलिस्तीन को “इस्लामी दुनिया का धड़कता हुआ दिल” बताया गया है।
रायसी ने फिलिस्तीन की मौजूदा स्थिति पर मुस्लिम देशों के 57 सदस्यीय निकाय का आपातकालीन सत्र आयोजित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने मुस्लिम देशों के बीच एकता को मजबूत करने के प्रयासों के लिए ईरान के समर्थन की पुष्टि करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इजरायल की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए इस्लामी दुनिया की एकता आवश्यक है। ईरान और इराक के विदेश मंत्रियों ने भी फिलिस्तीन पर विशेष ओआईसी सत्र की अपील की है। ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने सोमवार को कहा कि ईरान ने क्षेत्रीय विकास पर इस्लामिक सहयोग संगठन की आपातकालीन बैठक बुलाई है। ईरान ने चेतावनी दी है कि उसके प्रति कोई भी गलत आकलन ‘विनाशकारी’ होगा।
इस बीच संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) खुले तौर पर इजराइल का समर्थन करने वाला पहला मुस्लिम देश बन गया है। यूएई ने इजराइल पर हमास के हमले को गंभीर करार दिया है। यूएई के विदेश मंत्री ने एक बयान में कहा कि हमास आतंकवादियों द्वारा इजराइली नागरिकों का अपहरण और क्रूरतापूर्वक उनकी हत्या करते हुए देख कर वह स्तब्ध हैं। यूएई ने फिलिस्तीन से युद्ध को एकतरफा रोकने का आह्वान किया।