भोपाल- 17 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि महिलाओं के संकल्प और अथक परिश्रम से स्व-सहायता समूह अब राष्ट्र सहायता समूह बन गए हैं। श्योपुर में मिला लाखों माताओं का आशीर्वाद उनके लिए रक्षा कवच, प्रेरणा और शक्ति का स्त्रोत है। महिला स्व-सहायता समूहों की शक्ति आजादी के अमृत काल में आत्म-निर्भर भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को श्योपुर के कराहल में आयोजित आत्म-निर्भर भारत की नई इबारत लिख रहे महिला स्व-सहायता समूहों के विशाल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की महिलाओं ने हर चुनौती का अपनी उद्यमशीलता से सामना किया है। उन्होंने विश्वकर्मा जयंती पर सभी को बधाई और शुभकामनाएँ दी। प्रधानमंत्री के आह्वान पर उपस्थित जन-समूह ने श्योपुर के कूनों राष्ट्रीय उद्यान में आज छोड़े गये चीतों का सम्मान और पुनर्स्थापना के लिये चीता प्रदान करने वाले मित्र देश नामीबिया का खड़े होकर तालियों के साथ आभार प्रकट किया।
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श्योपुर जिले के पर्वतीय एवं वनांचल क्षेत्र में बसे आदिवासी बहुल विकासखण्ड कराहल में आयोजित विशाल स्व-सहायता समूह सम्मेलन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्रीगण नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेन्द्र कुमार, प्रहलाद पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते सहित सांसद और राज्य सरकार के मंत्री मंचासीन थे। प्रधानमंत्री मोदी ने स्व-सहायता समूहों से जुड़ी बहनों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि जहाँ महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ता है, वहाँ सफलता अपने आप तय हो जाती है। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता इसका उदाहरण है। इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार द्वारा अधिक से अधिक क्षेत्रों में महिलाओं को प्रबंधन से जोड़ा जा रहा है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के माध्यम से पूरे देश में अब तक 8 करोड़ से अधिक बहनें स्व-सहायता समूहों से जुड़ चुकी हैं। इससे सीधे 8 करोड़ परिवार लाभान्वित हुए हैं। हमारा लक्ष्य है कि हर परिवार से एक महिला इस अभियान से जुड़े।
उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूहों से जुड़कर महिलायें खेती, डिजिटल सेवा, शिक्षा, बीमा, बैंकिंग व भण्डारण व्यवस्था में प्रभावी भूमिका निभा रही हैं। सरकार ने स्व-सहायता समूहों को दी जाने वाली सहायता में बीते 7 साल में 13 गुनी बढ़ोतरी की है। सरकार अब बिना गारंटी के महिला स्व-सहायता समूहों को 20 लाख रुपये तक आर्थिक सहायता मुहैया करा रही है। साथ ही जल जीवन मिशन के तहत मूर्तरूप ले रहीं नल-जल योजनाओं के संचालन व रख-रखाव में भी महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सरकार ने पिछले तीन वर्षों में जल जीवन मिशन के तहत 7 करोड़ नए नल कनेक्शन दिए हैं, जिनमें मध्यप्रदेश के 40 लाख घरों को मिले नल कनेक्शन भी शामिल हैं।
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