सिविल सेवकों को ‘बेहतर के लिए परिवर्तन’ की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए: राष्ट्रपति

नई दिल्ली- 13 मार्च। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यथास्थिति बनाए रखने की प्रवृत्ति को साधारण जड़ता या बदलते परिदृश्य से उत्पन्न लोगों की उभरती समस्याओं के प्रति उदासीनता करार दिया है। उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को ‘बेहतर के लिए परिवर्तन’ की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

एलबीएसएनएए में 124वें प्रवेश प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने वाले राज्य सिविल सेवा अधिकारियों ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। इस दौरान अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें पदोन्नति और भारतीय प्रशासनिक सेवाओं में शामिल होने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि लगभग सभी ने विभिन्न क्षमताओं में राज्य सरकारों में 20 से अधिक वर्षों तक सेवा की है। इन सालों में उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया होगा और कड़े फैसले लिए होंगे। उन्होंने उनसे नेशन फर्स्ट और पीपल फर्स्ट की भावना के साथ काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारियों के रूप में उन्हें सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता, प्रतिबद्धता और मुस्तैदी के सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि कई मौकों पर यह देखा जाता है कि यथास्थिति बनाए रखने की प्रवृत्ति होती है। या तो यह साधारण जड़ता है या यह हमारे आसपास के बदलते परिदृश्य से उत्पन्न लोगों की उभरती समस्याओं के प्रति उदासीनता है। सिविल सेवकों को ‘बेहतर के लिए परिवर्तन’ की मानसिकता के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश को ऐसे सिविल सेवकों की आवश्यकता है जो नवोन्मेषी, सक्रिय और विनम्र, पेशेवर, प्रगतिशील, ऊर्जावान, पारदर्शी, तकनीक-सक्षम और रचनात्मक हों। इन नेतृत्व शैलियों और मूल्यों को अपनाने वाले प्रशासनिक नेताओं को राष्ट्र और नागरिकों की सेवा करने के लिए बेहतर स्थान दिया जाएगा।

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Author: lakshyatak

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