नई दिल्ली- 21 मार्च। राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सदन में गतिरोध को तोड़ने के प्रयास में मंगलवार को दो बार राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की बैठक बुलाई।
बैठक में उन्होंने रेखांकित किया कि सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाना हमारा प्रमुख कर्तव्य है जो लोकतंत्र का सार है और लोगों की अपेक्षा है। डेढ़ घंटे तक चली बैठक के दौरान धनखड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सदन बहस और सहयोगात्मक तरीके से चर्चा के लिए है न कि टकराव और गतिरोध के लिए।
सभापति के चैंबर में पहली बैठक सुबह 11.30 बजे हुई जिसमें भाजपा, वाईएसआरसीपी, बीजेडी और टीडीपी के नेता मौजूद थे। हालांकि, अन्य दलों के सदन के नेता शामिल नहीं हुए। कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक और डीएमके पार्टी के सदन के नेता ने भी बैठक से पहले सभापति से अलग से मुलाकात की और बैठक में भाग लेने में असमर्थता व्यक्त की। सभापति ने इन दोनों नेताओं को संकेत दिया कि इससे लोकतंत्र को मदद नहीं मिलेगी और उनकी भावनाओं को नेताओं तक पहुंचाया जाए।
इसके बावजूद पहली बैठक में भाजपा, वाईएसआरसीपी और टीडीपी को छोड़कर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आप, बीजेडी, आरजेडी, सीपीआई (एम), जेडी(यू), एआईएडीएमके, एनसीपी, एसपी, एसएस, सीपीआई, टीआरएस, एजीपी और अन्य के नेताओं की अनुपस्थिति थी ।
राज्यसभा के सभापति ने इसके बाद बैठक में अनुपस्थित रहे दलों के नेताओं से अपने फैसले पर फिर से विचार करने और दोपहर 2:30 बजे वाली दूसरी बैठक में भाग लेने की अपील की।
दूसरी बैठक में राज्यसभा के उपसभापति डॉ. हरिवंश, शरद पवार (एनसीपी), डॉ. केशव राव (टीआरएस), तिरुचि शिवा (डीएमके), डॉ. शांतनु सेन (टीएमसी), एम थंबीदुरई (डीएमके), सस्मित पात्रा (बीजेडी), जीके वासन (तमिल मनीला कांग्रेस), बीरेंद्र प्रसाद बैश्य (एजीपी); केंद्रीय मंत्री और सदन के नेता पीयूष गोयल, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पलहद जोशी, संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, विदेश और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और भाजपा (आरएस) के मुख्य सचेतक लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने भाग लिया।
सभापति ने आगे के परामर्श में शामिल होने के लिए 23 मार्च को सुबह 10 बजे अगली बैठक निर्धारित की है, जिसमें सभी सदन के नेताओं से भाग लेने का अनुरोध किया है।
