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‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ के सपने को साकार किया जाएगा: लोस अध्यक्ष

मुंबई- 28 जनवरी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने रविवार को कहा कि आम नागरिकों को विधायिकाओं के साथ प्रभावी रूप से जोड़ने के उद्देश्य से ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव प्लेटफॉर्म’ के सपने को साकार किया जाएगा।

लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने रविवार को 84वां अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) को वीडियो के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र जनता के विश्वास और भरोसे पर चलता है, इसलिए यह लोकतांत्रिक संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे अपनी कार्यशैली में आवश्यक बदलाव लाएं। यदि आवश्यक हो तो नियमों में संशोधन भी करें, ताकि इन संस्थाओं में जनता का विश्वास बढ़े। विधायी निकायों की सर्वोत्तम प्रथाओं का उल्लेख करते हुए ओम बिरला ने केंद्र, राज्य और जमीनी स्तर की लोकतांत्रिक संस्थाओं के बीच संवाद स्थापित करने के सुझाव की सराहना की।

विधानमंडलों को अधिक प्रभावी और कुशल बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर जोर देते हुए ओम बिरला ने कहा कि लोक सभा को एक मॉडल आईटी नीति बनाने और उन्हें राज्य विधायी निकायों के साथ साझा करने के लिए कुछ राज्य विधानमंडलों से सुझाव मिले हैं। इन सुझावों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और उचित कार्रवाई की जाएगी। अपने वीडियो संबोधन में विधानमंडलों को पेपरलेस बनाने के संबंध में ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि हमें जल्द से जल्द प्रौद्योगिकी में दक्षता हासिल करनी चाहिए।

ओम बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि विधानमंडलों में बहस अधिक और व्यवधान कम होना चाहिए। विधानमंडलों को अधिक उत्पादकता के साथ कार्य करते हुए लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर गुणात्मक चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने पीठासीन अधिकारियों से ऐसी कार्ययोजना और रणनीति बनाने का आग्रह किया जिससे विधानमंडलों का समय बर्बाद न हो और सदन के समय का उपयोग जनता के कल्याण के लिए वाद-विवाद और चर्चा में किया जा सके। जबरन और नियोजित स्थगन की घटनाएं और व्यवधानों के कारण संसद के समय की हानि लोकतंत्र के सभी हितधारकों के लिए चिंता का विषय है। ऐसी घटनाओं से सदन की गरिमा कम होती है और जनता के बीच नकारात्मक छवि बनती है।

ओम बिरला ने यह भी बताया कि दल-बदल विरोधी कानून की समीक्षा के लिए महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जाएगी। समिति प्रणाली को मजबूत करने के दूसरी एजेंडा मद का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संसदीय समितियां संसदीय प्रक्रियाओं की जीवनधारा हैं और उनकी कार्यक्षमता को बढ़ाकर, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वे प्रभावी शासन और कार्यपालिका की निगरानी के लिए शक्तिशाली साधन बनें।

इस अवसर पर उपराष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़, महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस, राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश,महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर,महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस,महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार,महाराष्ट्र विधान परिषद की उप सभापति डॉ. नीलम गोरहे उपस्थित थीं।

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Author: lakshyatak

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