नई दिल्ली- 05 जनवरी। कांग्रेस ने मनरेगा के तहत एप के माध्यम से श्रमिकों की उपस्थिति दर्ज कराने वाले ग्रामीण विकास मंत्रालय के फैसले का विरोध किया है। कांग्रेस का आरोप है कि यह मनरेगा पर खर्च कम करने के लिए मोदी सरकार की पिछले दरवाजे से चली गई एक चाल है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर कहा कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अनिवार्य किया है कि 1.58 करोड़ कार्यस्थलों पर प्रत्येक मनरेगाकर्मी फ़िज़िकल मस्टररोल की जगह एक ऐप के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं। उन्होंने कहा कि पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाए गए इस कदम का स्पष्ट रूप से उल्टा असर होगा। यह भ्रष्टाचार के लिए नए रास्ते खोलेगा। मजदूरों को वेतन मिलने में दिक्कत होगी। उन्होंने कहा कि महंगे स्मार्टफोन के बिना लोग (विशेषकर महिलाएं और हाशिए पर खड़े समुदाय) कमजोर होंगे। संक्षेप में कहें तो यह ग्रामीण क्षेत्रों के करोड़ों गरीबों के लिए संजीवनी,मनरेगा को कमज़ोर करेगा।
रमेश ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस मोदी सरकार से एप की अनिवार्यता को रद्द करने,तकनीकी खामियों के कारण अपना वेतन न पाने वाले सभी श्रमिकों को मुआवजा देने और खुले मस्टररोल तथा सोशल ऑडिट के माध्यम से पारदर्शिता एवं जवाबदेही को मजबूत करने की मांग करती है।