नई दिल्ली- 19 अक्टूबर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि भारत सिर्फ अपने लिए ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए कुशल पेशेवर तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारों को अपने कौशल विकास का दायरा और बढ़ाना होगा।
प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए महाराष्ट्र में 511 प्रमोद महाजन ग्रामीण कौशल विकास केंद्रों का शुभारंभ करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। महाराष्ट्र के 34 ग्रामीण जिलों में स्थापित ये केंद्र ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करेंगे।
प्रधानमंत्री ने ग्रामीण कौशल विकास केंद्रों की स्थापना को लाखों युवाओं के कौशल विकास के लिए एक बड़ा कदम बताया और कहा कि विश्व स्तर पर कुशल भारतीय युवाओं की मांग बढ़ रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत सिर्फ अपने लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए कुशल पेशेवर तैयार कर रहा है।” उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में कौशल केंद्र स्थानीय युवाओं को वैश्विक नौकरियों के लिए तैयार करेंगे और उन्हें निर्माण,आधुनिक खेती, मीडिया और मनोरंजन और इलेक्ट्रॉनिक्स में कौशल प्रदान करेंगे। प्रधानमंत्री ने बुनियादी विदेशी भाषा कौशल, भाषा व्याख्या के लिए एआई टूल का उपयोग जैसे सॉफ्ट स्किल में प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया, जो उन्हें भर्तीकर्ताओं के लिए और अधिक आकर्षक बनाएगा।
प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछली सरकारों में लंबे समय तक कौशल विकास के प्रति दूरदर्शिता और गंभीरता की कमी थी, जिसके परिणामस्वरूप कौशल की कमी के कारण लाखों युवाओं के लिए नौकरी के अवसर कम हो गए। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने कौशल विकास की आवश्यकता को समझा और अपने स्वयं के बजटीय आवंटन और कई योजनाओं के साथ इसके लिए समर्पित एक अलग मंत्रालय बनाया। कौशल विकास योजना के तहत 1 करोड़ 30 लाख से अधिक युवाओं को कई विशेषताओं के तहत प्रशिक्षण प्रदान किया गया है, जबकि पूरे देश में सैकड़ों से अधिक प्रधानमंत्री कौशल केंद्र स्थापित किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने उन व्यवसायों का जिक्र किया, जो गांवों में पीढ़ियों से आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने पीएम विश्वकर्मा योजना के बारे में बात की, जो नाई, बढ़ई, धोबी, सुनार या लोहार जैसे व्यवसाइयों की मदद के लिए शुरू की गई है। प्रधानमंत्री ने बताया कि इसके तहत प्रशिक्षण,आधुनिक उपकरण और वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा, “सरकार इस पर 13,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है और महाराष्ट्र में 500 से अधिक कौशल केंद्र इसे आगे बढ़ाएंगे।”
कौशल विकास के इन प्रयासों के बीच,प्रधानमंत्री ने कौशल के प्रकार में सुधार के क्षेत्रों पर जोर दिया, जो देश को और मजबूत करेगा। उन्होंने भारत के विनिर्माण उद्योग में अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों या शून्य दोष वाले उत्पादों की आवश्यकता को रेखांकित किया और उद्योग 4.0 पर भी चर्चा की, जिसके लिए नए कौशल की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सरकारों को सेवा क्षेत्र, ज्ञान अर्थव्यवस्था और आधुनिक तकनीक को ध्यान में रखते हुए नए कौशल पर भी जोर देना होगा। प्रधानमंत्री ने विनिर्माण के लिए ऐसे उत्पादों को खोजने पर भी जोर दिया जो देश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएंगे। हमें ऐसे उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक कौशल को बढ़ावा देना होगा।
भारत के कृषि क्षेत्र के लिए नए कौशल की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने धरती माता की रक्षा के लिए प्राकृतिक खेती पर जोर दिया। उन्होंने संतुलित सिंचाई, कृषि-उत्पाद प्रसंस्करण, पैकेजिंग, ब्रांडिंग और लोगों को ऑनलाइन दुनिया से जुड़ने के लिए कौशल का आकलन करने के लिए कौशल की आवश्यकता के बारे में बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ”देश की विभिन्न सरकारों को अपने कौशल विकास का दायरा और बढ़ाना होगा।”
मौके पर अन्य लोगों के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और अजीत पवार उपस्थित थे।