पटना- 04 मार्च। बिहार के 38 जिलों में जमीन की 57 श्रेणियां हैं। इसी आधार पर एमवीआर (न्यूनतम मूल्यांकन पंजी) में जमीन का दाम तय है। अप्रैल माह से इसमें बदलाव आ जायेगा। सभी जिलों में जमीन का वर्गीकरण एक जैसा होगा।
निबंधन विभाग अप्रैल माह से लैंड यूनिफॉर्म (एक मानक) लागू करने जा रहा है। सहायक निबंधन महानिरीक्षक मनोज कुमार संजय ने जिले भर के सभी जिलाधिकारियों को इस बाबत एक पत्र जारी कर भूमि वर्गीकरण के लिए एक मानक तय करने वास्ते एक समेकित रिपोर्ट मांगी है। विभाग का मानना है कि प्रदेश में जमीन का वर्गीकरण एक जैसा होने के बाद राजस्व चोरी में अंकुश लगेगा। साथ ही जमीन की खरीद-बिक्री के दौरान निबंधन कार्यालय से जुड़े दलाल व बिचौलियों का अनावश्यक हस्तक्षेप भी खत्म होगा।
ग्रामीण क्षेत्र में वर्ष 2013 और शहरी क्षेत्र में वर्ष 2016 के बाद से एमवीआर में सर्किल रेट की वृद्धि नहीं हुई है। सरकार की ओर से फिलहाल सर्किल रेट में वृद्धि का कोई प्रस्ताव भी नहीं है। इस बीच राजस्व वसूली बढ़ाने के लिहाज से विभागीय समीक्षा बैठक में विभिन्न जिलों के अवर निबंधक की ओर से राज्यभर में जमीन का एक जैसा वर्गीकरण करने का सुझाव दिया गया। अलग-अलग जिलों में जमीन की अलग-अलग किस्म निर्धारित होने से एक समान राजस्व वसूली में कठिनाई होती है। साथ ही ऑनलाइन जमीन निबंधन में भी आम लोगों को परेशानी हो रही है।
पटना नगर निगम क्षेत्र में सड़कों की कैटेगरी के हिसाब से व्यावसायिक, आवासीय, औद्योगिक श्रेणियां होंगी।नगर निकाय से विकासशील भूमि की श्रेणी हटाने की तैयारी है। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक, आवासीय, औद्योगिक, कृषि, बंजर श्रेणियां ही होंगी। इसके बाद इसी अनुसार जमीन का निबंधन होगा।
विभिन्न जिलों में लागू एमवीआर में जमीन की किस्म की पड़ताल में पता चला कि मुजफ्फरपुर जिले के शहरी क्षेत्र की जमीन की तीन किस्म निर्धारित है। इसमें मुख्य सड़क, प्रधान सड़क तथा शाखा सड़क के आधार पर जमीन की किस्म तय करते हुए सर्किल रेट की वसूली होती है। पूर्वी चंपारण व सहरसा में सड़क की चौड़ाई के हिसाब से सर्किल रेट तय है।
सरकार की क्या है मंशा?
उल्लेखनीय सभी जिलों में जमीन की किस्म एक जैसी निर्धारित हो जाती है, तो बिना सर्किल रेट बढ़ाए ही सरकार का राजस्व बढ़ जाएगा। जमीन की खरीद और बिक्री में बिचौलियों की भूमिका भी पूरी तरह समाप्त हो जाएगी। जानकारी हो कि धनखर, एक फसली, दो फसली, विकासशील, भीठ, कृषि योग्य, व्यावसायिक, आवासीय आदि..आदि… यह राज्य के अलग-अलग जिलों में जमीन के अलग-अलग प्रकार है।