फिलीपींस, ताइवान और मलेशिया ने भी किया चीन के नए नक्शे को मान्यता देने से इनकार

मनीला/ताइपे/ क्वालालंपुर- 31 अगस्त। मनमाने ढंग से नया नक्शा जारी कर भारत, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान के क्षेत्रों पर दावा करने वाले चीन को हर ओर से सुननी पड़ रही है। भारत के बाद अब फिलीपींस, ताइवान और मलेशिया ने भी चीन के नए नक्शे को मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया है। साथ ही चीन को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करने की सलाह भी दी है।

चीन ने बीती 28 अगस्त को नया नक्शा जारी कर भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन क्षेत्र को चीन की सीमाओं के भीतर दिखाया है। चीन ने प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय की ओर से जारी नए नक्शे में अपनी पश्चिमी सीमाओं पर क्षेत्रीय दावे करने के साथ ही पूरे दक्षिण चीन सागर को कवर करने वाली तथाकथित ‘नाइन-डैश लाइन’ को अपने मानचित्र पर दिखाया है। एक ‘दसवां डैश’ ताइवान के पूर्व में रखा गया है, जो द्वीप पर बीजिंग के दावों को रेखांकित करता है। इसके अलावा मलेशिया के समुद्री क्षेत्र और फिलीपींस के कई क्षेत्रों को भी चीन ने अपने नक्शे में शामिल कर उन पर दावा किया है।

भारत ने चीन की ओर से जारी तथाकथित नक्शे पर कड़ा विरोध व्यक्त करते हुए राजनयिक माध्यम से अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। भारत ने चीन के दावों को खारिज कर उन्हें निराधार बताया था। साथ ही कहा था कि चीन की ओर से इस तरह के कदम केवल सीमा मसले के समाधान को जटिल बनाएंगे। अब फिलीपींस, ताइवान और मलेशिया की ओर से भी विरोध के स्वर उठे हैं। फिलीपींस के विदेश मंत्रालय ने चीन के प्रयासों को अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन और फिलीपीन्स की संप्रभुता पर हमला करार दिया है। फिलीपींस ने चीन को अंतरराष्ट्रीय मर्यादाओं में रहने की सीख भी दी है।

मलेशिया ने भी अपने समुद्री क्षेत्र पर चीन के एकतरफा दावे को खारिज कर दिया है। मलेशिया की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि चीन के नक्शे का मलेशिया पर कोई बाध्यकारी प्रभाव नहीं है। मलेशिया 1979 के मानचित्र के आधार पर मलेशिया की समुद्री विशेषताओं या समुद्री क्षेत्र पर संप्रभुता, संप्रभु अधिकारों और अधिकार क्षेत्र के किसी भी विदेशी पक्ष के दावों को खारिज करने की अपनी स्थिति पर कायम है।

ताइवान के विदेश मंत्रालय की ओर बयान जारी कर कहा गया कि ताइवान एक संप्रभु और स्वतंत्र देश है। चीन ने कभी भी ताइवान पर शासन नहीं किया है। यह एक तथ्य और यथास्थिति है जिसे आम तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मान्यता प्राप्त है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि चीनी सरकार ताइवान की संप्रभुता के अपने दावे को कैसे विकृत करती है, यह हमारे देश के अस्तित्व के उद्देश्यपूर्ण तथ्य को नहीं बदल सकती है।

lakshyatak
Author: lakshyatak

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!