नई दिल्ली- 22 अप्रैल। सरकार ने भारत से लगी चीन, पाकिस्तान और म्यांमार के सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा मजबूत करने का फैसला लिया है। इन सीमावर्ती इलाकों में 31 हजार करोड़ रुपये से अधिक की अनुमानित लागत से सड़कों और पुलों के निर्माण का प्रस्ताव रखा गया है। तीनों देशों की सीमाओं पर 3,508 किमी. लंबी सड़कें बननी हैं जिसमें लगभग तीन-चौथाई सड़कें और सभी प्रस्तावित पुल चीन सीमा के करीब के इलाकों में बनाए जाएंगे। इन प्रस्तावों को जल्द ही कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के समक्ष मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
अधिकारियों ने कहा कि इन रणनीतिक सड़कों को ”इंडिया @75 स्ट्रेटेजिक रोड पैकेज (आईएसआरपी)” के तहत पहचाना गया है। यह सड़कें पड़ोसी देशों की सीमा के साथ ”रोड हेड डिफरेंशियल गैप” को कम करने में भी मदद करेंगी। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में तवांग के सामने सीमा क्षेत्र में कामेंग सेक्टर को छोड़कर भारतीय सीमा से रोड हेड की दूरी 20 से 120 किमी. तक होती है लेकिन चीन के मामले में यह सीमा पर 8 किमी. से भी कम है। इन 64 सड़क परियोजनाओं में से 41 पर ”ग्रीनफील्ड” बनाने का प्रस्ताव है।
अधिकारियों का कहना है कि 31 हजार करोड़ रुपये बजट का लगभग 78 फीसदी हिस्सा भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में बनने वाली परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा, जबकि भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्रों में प्रस्तावित सड़कों को कुल निवेश का 14 फीसदी हिस्सा मिलेगा। इन रणनीतिक सड़क और पुल परियोजनाओं का उद्देश्य अरुणाचल, मणिपुर, सिक्किम, मिजोरम, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश सहित सीमावर्ती राज्यों के साथ संपर्क में सुधार करना है। इन सभी परियोजनाओं को मार्च, 2029 तक पूरा करने का प्रस्ताव रखा गया है, जिससे सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमता बढ़ने के साथ ही इन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने में मदद मिलेगी।