न्यूज चैनलों का स्व-नियामक तंत्र मजबूत होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली-18 सितम्बर। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वो न्यूज चैनलों की प्रतिद्वंद्विता में नहीं पड़ना चाहता है, बल्कि वो ये चाहता है कि चैनलों के स्व-नियामक तंत्र मजबूत हों। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने न्यूज ब्राडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) और न्यूज ब्राडकास्टर्स एंड डिजिटल एसोसिएशन (एनबीडीए) को चार हफ्ते में स्व-नियामक मैकेनिज्म दाखिल करने का निर्देश दिया।

आज सुनवाई के दौरान एनबीएफ की ओर से एनडीबीए की इस याचिका में क्षेत्राधिकार पर सवाल उठाया गया। एनबीएफ की ओर से वकील महेश जेठमलानी ने कहा कि एनबीएफ ही एकमात्र ऐसा संगठन है, जिसने आईटी रूल्स 2021 के तहत रजिस्ट्रेशन कराया है। एनडीबीए ने आईटी रूल्स 2021 के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हम आपके विवादों को नहीं सुलझा सकते हैं।

इसके पहले 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने टीवी चैनलों की खबरों पर सवाल उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चैनलों के स्व-नियामक तंत्र को प्रभावी बनाना जरूरी है। कोर्ट ने कहा था कि कुछ लोग हैं, जो संयम का पालन नहीं करते हैं। कोर्ट ने कहा था कि वो स्व-नियामक तंत्र को मजबूत करना चाहते हैं। इसके लिए हमें न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) सुझाव दे। कोर्ट ने कहा था कि चैनलों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाना प्रभावी नहीं कहा जा सकता। पिछले 15 साल से एक लाख जुर्माने को बढ़ाने का विचार नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा कि जुर्माना एक समान नहीं बल्कि शो से हुए लाभ पर आधारित होना चाहिए।

कोर्ट ने कहा था कि इस बात पर विचार करना होगा कि क्या स्व-नियामक तंत्र तैयार करने के लिए उठाए गए कदमों और पारित किए जाने वाले अंतिम आदेशों को मजबूत करने की आवश्यकता है। इसके लिए वरिष्ठ वकील अरविंद दातार जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस आरवी रवीन्द्रन से सुझाव लेकर कोर्ट के सामने रखेंगे। इसमें जुर्माने पर भी उनके सुझाव शामिल होंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार भी इस पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट एनबीए की बांबे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें बांबे हाई कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि एनबीए के पास वैधानिक ढांचे में कोई कोई शक्ति नहीं है।

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Author: lakshyatak

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