नई दिल्ली- 28 अक्टूबर। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के मुताबिक देश में पिछले एक साल में टीबी के मरीजों की संख्या में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इस रिपोर्ट पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि देश में पिछले एक साल में 22 करोड़ से अधिक लोगों की टीबी की जांच की गई, जिसमें 21.4 लाख से अधिक टीबी मामलों को अधिसूचित किया गया है। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत मरीजों की जांच के लिए घर-घर जाकर यह सुनिश्चित जा रहा है कि यह बीमारी समुदाय में आगे संचरण न हों। इस उद्देश्य से पिछले साल 22 करोड़ लोगों की स्क्रिनिंग की गई।
मंत्रालय ने कहा कि भारत के पास देश भर में 4,760 से अधिक मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक मशीनें हैं, जो हर जिले में पहुंच रही हैं। केंद्रीय टीबी डिवीजन (सीटीडी) द्वारा शुरू किए गए स्वास्थ्य मंत्रालय के अध्ययन के परिणाम लगभग छह महीने के समय में उपलब्ध होंगे और आगे डब्ल्यूएचओ के साथ साझा किए जाएंगे। ये कदम देश में टीबी के वास्तविक बोझ का आकलन करने का दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा ऐसा सर्वेक्षण है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने 2021 में इस तरह का सर्वेक्षण पूरा किया है, एक ऐसा वर्ष जिसमें भारत में काफी सुधार देखा गया।
डब्ल्यूएचओ रिपोर्ट भी सक्रिय टीबी रोग के विकास के लिए एक सहायक कारक के रूप में पोषण और अल्प पोषण की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। इस संबंध में, टीबी कार्यक्रम की पोषण सहायता योजना – नि-क्षय पोषण योजना – कमजोर लोगों के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई है। 2020 और 2021 के दौरान, भारत ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण कार्यक्रम के माध्यम से टीबी रोगियों को 89 मिलियन डॉलर का नकद हस्तांतरण किया। इसके अलावा, सितंबर 2022 में, भारत के राष्ट्रपति ने व्यक्तियों और संगठनों सहित समुदाय के योगदान के माध्यम से, टीबी उपचार पर अतिरिक्त पोषण सहायता प्रदान करने के लिए अपनी तरह की पहली पहल, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया है। अब तक, देश भर में 10,45,269 से अधिक रोगियों की सहायता के लिए 40,492 निक्षय मित्र आगे आए हैं।