प्रयागराज- 11 जनवरी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि गुजारा भत्ते पर समझौता होने से यह नहीं कह सकते कि पत्नी ने पति की मौत के बाद सेवानिवृत्ति परिलाभों का दावा छोड़ दिया है।
कोर्ट ने कहा कि पति से अलग रहने के बावजूद सेवा पंजिका में वह नामित है और दोनों के बीच तलाक न होने के कारण वह पत्नी है। कानूनन मृतक कर्मचारी के सेवा परिलाभ बतौर वारिस पाने का हक है। इसलिए पत्नी ही पति की मौत के बाद पारिवारिक पेंशन आदि पाने की हकदार हैं।
कोर्ट ने स्वयं को पत्नी की तरह साथ रहने वाली याची को राहत देने से इंकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रजनी रानी की याचिका पर दिया है।
याची का कहना था कि उसके पति भोजराज 30 जून 21 को सेवानिवृत्त हुए और 2 अक्टूबर को मौत हो गई। वह महाराजा तेज सिंह जूनियर हाईस्कूल औरंध, सुल्तानगंज, मैनपुरी में सहायक अध्यापक थे। याची का कहना था कि लम्बे समय से वह पत्नी के रूप में साथ रहती थी। पहली पत्नी बहुत पहले घर छोड़कर चली गई थी। उसने धारा 125 गुजारा भत्ते का दावा किया था। समझौता हो गया। उसके बाद गुजारे का कोई दावा नहीं किया। इस प्रकार उसने पति के सेवानिवृत्ति परिलाभों पर अपना दावा छोड़ दिया था।
कोर्ट ने इस तर्क को सही नहीं माना और कहा कि पत्नी को पति के सेवानिवृत्त परिलाभ पाने का अधिकार है। याची को लाभ देने से इंकार करने का आदेश सही है और याचिका खारिज कर दी।