तमिलनाडु- 15 सितंबर। जहां एक तरफ डीएमके सरकार और उसके मुखिया एमके स्टालिन सनातन धर्म के विवाद में फंसे हुए हैं, दूसरी तरफ उनकी पार्टी के लिए जातीयता व भाषा वाद गले में कांटे की तरह चुभ रहा है। इसे सुलझाने तथा पटरी पर लाने के प्रयासों में पार्टी जुट गई है। इस दिशा में तमिलनाडु द्वारा तीन महिलाओं को मंदिर का पुजारी बनाने की पहल की गई है। इसे मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने समानता के अधिकार का नया युग बताया। उन्होंने कहा कि “पहली बार तमिलनाडु सरकार ने पुजारियों के प्रशिक्षण के लिए तीन महिलाओं को मंदिर के पुजारी के रूप में प्रशिक्षित किया है।”
एस राम्या, एस कृष्णवेनी और एन रंजीता ने तिरुचिरापल्ली के पास श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर से प्रशिक्षण लिया। डीएमके सरकार के 2021 में सत्ता में आने के बाद पुजारियों के प्रशिक्षण के लिए ऐसे संस्थानों को पुनर्जीवित कर यह कार्यक्रम फिर से शुरू किया जिसे 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि द्वारा शुरू किया गया था।
बताया जा रहा है कि तीनों महिलाएं अपने ज्ञान और कौशल को निखारने के लिए प्रतिष्ठित मंदिरों में अभी एक और साल बिताएंगी और इसके बाद योग्यता के आधार पर उन्हें पुजारी के रूप में नियुक्ति पर विचार किया जाएगा। राम्या, जिन्होंने गणित में एमएससी पूरी की है और बैंकिंग सर्विस या टीचिंग की उम्मीद कर रही थीं, वह अब एक पुजारी के रूप में सेवा करनी चाहती हैं। उन्होंने बताया कि बैच में 22 छात्र थे, जिनमें तीन महिलाएँ भी थीं। लेकिन एक महीने पहले शुरू हुए नवीनतम बैच में 17 लड़कियाँ हैं। सभी जातियों के लोगों को पुजारी बनने की अनुमति देने वाली राज्य की योजना के तहत तीन महिलाओं सहित कुल 94 लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।
भले ही तमिलनाडु में मंदिरों में महिला पुजारियों की नियुक्ति का विचार नया है, लेकिन राज्य में कई धार्मिक तथा सांस्कृतिक रक्षा के देवता हैं- जैसे सुदलाई मदन, मदुरै वीरन, करुप्पन्नास्वामी, भगवान पावाडरायण या कालियाम्मा, मरियम्मा, पेचियायी, करुप्पई और चेल्लाथम्मा, जहां कई दशकों से अनुष्ठानों का नेतृत्व महिला पुजारी ही कर रही हैं जो मंदिरों का संचालन भी कर रही हैं।