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ट्रम्प-मोदी के बीच हुआ आखिरी रक्षा सौदा बाइडन के हाथों हुआ फाइनल

नई दिल्ली- 23 जून। साल 2020 में भारत और अमेरिका की तत्कालीन डोनाल्ड ट्रंप सरकार के साथ किया गया अंतिम प्रमुख रक्षा सौदा अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर फाइनल हुआ है। भारत और अमेरिका के बीच एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद पर बड़ा सौदा किया गया है। व्हाइट हाउस ने इस सौदे को ‘मेगा डील’ करार दिया है। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। करीब 29 हजार करोड़ रुपये के इस सौदे से भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलेंगे।

अमेरिका के राजकीय दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद पर एक मेगा डील का ऐलान भी किया गया है। इनमें से 14 नौसेना को और आठ-आठ वायुसेना और थल सेना को मिलेंगे। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इनकी तैनाती हिंद महासागर और चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। सौदे के पहले चरण में छह ड्रोन तत्काल एकमुश्त नगद भुगतान करके खरीदे जायेंगे। मौजूदा जरूरतों को देखते हुए फिलहाल दो-दो ड्रोन तीनों सेनाओं को दिए जायेंगे। बाकी 24 ड्रोन अगले तीन वर्षों में हासिल कर लिए जाएंगे।

यह अत्याधुनिक ड्रोन सिर्फ भारतीय नौसेना के खरीदे जाने थे, लेकिन बाद में इसे तीनों सेनाओं के लिए खरीदने का फैसला लिया गया। तब अमेरिकी सरकार ने 2018 में भारत को एमक्यू-9 सशस्त्र ड्रोन बेचने की मंजूरी भी दे दी थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार के बीच हस्ताक्षरित यह अंतिम प्रमुख समझौता था। इस समझौते पर फरवरी, 2020 में हस्ताक्षर किए गए थे, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपनी पहली यात्रा पर भारत आये थे। यह सौदा पिछले तीन वर्षों से लंबित था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पूर्व 15 जून को रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से 30 प्रीडेटर (एमक्यू-9 रीपर) ड्रोन हासिल करने के सौदे को मंजूरी दे दी। हालांकि इस सौदे पर अंतिम मंजूरी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) से मिलना अभी बाकी है।

दरअसल, चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संवेदनशील क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने और निगरानी को बढ़ावा देने के लिए सेना, नौसेना और वायु सेना ने एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की जरूरत जताई है। खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहती है। इस ड्रोन के आने के बाद हिंद महासागर पर चीन के खिलाफ घेराबंदी और मजबूत हो सकेगी। भारतीय नौसेना इस सौदे के लिए प्रमुख एजेंसी है, इसलिए 14 ड्रोन तटीय सुरक्षा और निगरानी के लिए समुद्री बल को मिलेंगे और आठ-आठ वायुसेना और थल सेना को मिलेंगे।

एमक्यू-9 रीपर ड्रोन की खासियत—

एमक्यू-9 रीपर ड्रोन को सैन डिएगो स्थित जनरल एटॉमिक्स ने बनाया है, जो लगातार 48 घंटे उड़ सकता है। यह 6,000 समुद्री मील से अधिक दूरी तक लगभग 1,700 किलोग्राम (3,700 पाउंड) का पेलोड ले जा सकता है। यह नौ हार्ड-पॉइंट्स के साथ आता है, जो हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों के अलावा सेंसर और लेजर-निर्देशित बम ले जाने में सक्षम है, जिसमें अधिकतम दो टन का पेलोड है। हथियारबंद ड्रोन से भारतीय सेना उस तरह के मिशन को अंजाम दे सकती है, जिस तरह का ऑपरेशन नाटो बलों ने अफगानिस्तान में किया था।इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादियों के ठिकाने पर रिमोट कंट्रोल ऑपरेशन, सर्जिकल स्ट्राइक और हिमालय की सीमाओं पर लक्ष्य को टारगेट बनाने में किया जा सकता है। पिछले साल भारतीय नौसेना ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर तनाव के बीच दो शिकारियों को लीज पर लिया था। इससे भारतीय नौसेना दक्षिणी हिन्द महासागर में घूमने वाले चीनी युद्धपोतों पर नजर रख रही है। वर्तमान में भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इजरायली यूएवी, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के नेत्रा और रुस्तम ड्रोन का उपयोग करती हैं।

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Author: lakshyatak

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