नई दिल्ली- 18 मई। दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया युनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नजमा अख्तर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
याचिका जामिया युनिवर्सिटी के पूर्व छात्र मोहम्मद एहतेशाम-उल-हक ने दायर की थी। याचिका में नजमा अख्तर को जामिया मिल्लिया युनिवर्सिटी की वाइस चांसलर के पद पर नियुक्ति को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि वाइस चांसलर की नियुक्ति के लिए बनाई गई सर्च कमेटी का गठन गैरकानूनी था। उनकी नियुक्ति पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने क्लियरेंस भी नहीं दिया था। सीवीसी के क्लियरेंस नहीं देने के बावजूद केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने नजमा अख्तर की वाइस चांसलर के पद पर नियुक्ति की। याचिका में दावा किया गया था कि यूजीसी और जेएमआई अधिनियम द्वारा जारी नियमों का उल्लंघन करते हुए नियुक्ति की गई है।
याचिका में कहा गया है कि नजमा अख्तर की नियुक्ति कानूनी प्रक्रियाओं को ताक पर रखकर की गयी। नजमा अख्तर की नियुक्ति जामिया मिल्लिया इस्लामिया एक्ट 1998 का खुला उल्लंघन है। याचिका में नजमा अख्तर की नियुक्त को निरस्त करने की मांग की गई।
