ताज़ा ख़बरें

जनकवि महेश ठाकुर ‘चकोर’ द्वारा लिखित भोजपुरी काव्य संग्रह ‘जरूर कोई बात बा’ का लोकार्पण

मुजफ्फरपुर- 14 नवंबर। प्रसिद्ध साहित्यकार और पूर्व कुलपति डॉ रिपुसूदन श्रीवास्तव और भोजपुरी अभिनेता गोपाल राय ने आज मुजफ्फरपुर के किरण श्री विवाह भवन में जनकवि महेश ठाकुर ‘चकोर’ द्वारा लिखित भोजपुरी काव्य संग्रह ‘जरूर कोई बात बा’ का विमोचन किया गया। इस दौरान डॉ रिपुसूदन श्रीवास्तव ने कहा कि सच्चा कवि जनता का आवाज होता है. इस मामले में महेश ठाकुर चकोर के सच्चे कवि प्रवक्ता हैं। कई चर्चित प्रसिद्ध गीतों के लोकप्रिय रचनाकार चकोर जी के संग्रह लगातार आएं इन्हीं शुभकामनाओं के साथ इनके प्रस्तुत हो रहे इस संग्रह का बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं।

इससे पहले भोजपुरी काव्य संग्रह ‘जरूर कोई बात बा’ के लोकार्पण कार्यक्रम का शुभारम्भ विधिवत रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर साहित्यकार डॉ ब्रजभूषण मिश्रा, डॉ कुमार विरल, डॉ संजय पंकज, डॉ रामप्रवेश सिंह, डॉ जयकांत सिंह ‘ जय’, डॉ गोपेश्वर सिंह और महेश ठाकुर “चकोर” ने किया। गायिका काजल श्री ने स्वागत गान की प्रस्तुति दी वही लोक कलाकार प्रेम रंजन ने बटोहिया की प्रस्तुति दी। इस मौके पर अभिनेता गोपाल राय ने कहा कि मुझे यह जानकर काफी खुशी हुई की महेश ठाकुर ‘चकोर’ जी का भोजपुरी गीत-कविता संग्रह ‘जरूर कोई बात बा’ आ रहा है. इस संग्रह के लिए ‘चकोर’ जी को बहुत-बहुत बधाई और भोजपुरी गीत-कविता संग्रह के आने से मैं स्वयं फूले नहीं समा रहा हूँ। महेश ठाकुर ‘चकोर’ को मैं बहुत पहले से देखते-सुनते आ रहा हूँ. मैं इनकी बातों से काफी प्रभावित होता रहा हूँ. इन्होंने कविता एवं गीत समाजहित को ध्यान में रखकर लिखा तथा लोगों को प्रेरणा देती है।

डॉ ब्रजभूषण मिश्र ने कहा कि ‘जरूर कोई बात बा’ भोजपुरी के जन-कवि महेश ठाकुर चकोर उन गीतों का संग्रह है,जो उत्तर बिहार की जन-वाणी बन चुके हैं। आज देश की जनता जिन दुर्दशाओं और उत्पीड़न से गुजर रही है, उसे जनता की भाषा में जनता तक पहुँचाना एवं उसे आन्दोलन के लिए प्रेरित करना हर सच्चे कवि का दायित्व है। इस दृष्टि से उत्तर बिहार के दो जन कवि डॉ. कुमार विरल एवं डॉ. महेश ठाकुर चकोर हमारे गौरव हैं। डॉ संजय पंकज ने कहा कि लोक चेतना के जनकवि ‘चकोर’ जी कबीर की तरह बिना लाग लपटाई की खरी-खरी बातें कहने के लिए जाने जाते हैं। मूल्यहीनता और अपसंस्कृति का दौर है यह समाज के हर क्षेत्र में नैतिक पतन हुआ है। राजनीतिक में चरित्र का बड़ा संकट है। ऐसे संक्रमण काल में एक संवेदनशील कवि विसंगतियों एवं अराजकताओं से क्षुब्ध होकर स्वाभाविक रूप से उत्तप्त भाषा में बात करने के लिए विवश हो जाता है।

डॉ कुमार विरल ने कहा कि महेश ठाकुर चकोर गंडक के धार के कवि है। कविता को रचने और जीने की कला इनमें कूट-कूट कर भरी हुई है। समाज का सरोकार इनकी कविता का केन्द्रविन्दु है। इनकी कविता में संघर्ष,विद्रोह,आक्रोश,विवशता,हताशा के साथ साथ मानवीये मूल्य के संरक्षण का स्वर है। चकोर जी की कविता सुविधाभोगी कवि की कविता नही है, यह तपती धूप,आंधी-तूफान व ठिठुरते हुए जाड़ में सिहरते हुए शोषित जनता की आवाज है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ रामप्रवेश सिंह और मंच संचालन सुमन वृक्ष ने किया। वहीं स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन करते हुए महेश ठाकुर चकोर ने कहा कि यह पुस्तक अपनी पुष्पा चकोर को समर्पित करता हूँ, जिन्होंने हमेशा मुझे सहयोग दिया। मैं आभार प्रकट करता हूँ सर्व भाषा ट्रस्ट नई दिल्ली का, जिसकी स्याही और पन्नो से मेरी रचना पुस्तक के रूप में आप सबों के समक्ष है। मेरे बेटे अंकित पयुष के हौसले को भी सलाम. साथ में किताब बनने के लिए मुझे प्रेरणा देने वाले हर शक्श को प्रणाम करता हूँ। आपके बिना यह किताब संभव नहीं थी। सबो का आभारी हूँ।

इन लोगों को किया गया सम्मानित—

डॉ रिपुसूदन श्रीवास्तव, डॉ रामप्रवेश सिंह, डॉ ब्रजभूषण मिश्रा, गोपाल राय,डॉ संजय पंकज,डॉ कुमार विरल,डॉ जयकांत सिंह ‘जय’,डॉ वीरेन्द्र शर्मा,डॉ हरिनारायण ठाकुर,डॉ रंजीत पटेल, महेश प्रसाद सिंह,केदारनाथ प्रसाद,सुनील कुमार(लोक कलाकार), सुमन वृक्ष, कुन्दन कुमार(पीआरओ),सोनू निगम(पीआरओ), बैद्यनाथ विद्यार्थी,विनय कुमार मिश्र, को सम्मान स्वरूप शाल और मोमेंटो दिया गया। इस अवसर पर राजीव कुमार, निखिल भारती,सौरभ सुमन,भोला बाबा,अमित रंजन सिकंदर ठाकुर, सोहन लाल दीवाना,अंजनी कुमार पाठक,प्रवीण समेत सैकड़ो लोग मौजूद थे।

Join WhatsApp Channel Join Now
Subscribe and Follow on YouTube Subscribe
Follow on Facebook Follow
Follow on Instagram Follow
Follow on X-twitter Follow
Follow on Pinterest Follow
Download from Google Play Store Download

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button