चीन ने नेपाल और भारत के पानी को नियंत्रित करने के लिए तिब्बत में बनाया बांध

काठमांडू- 25 जनवरी। चीन ने नेपाल और भारत के पानी पर नियंत्रण करने के उद्देश्य से तिब्बती क्षेत्र में एक नए बांध का निर्माण पूरा कर लिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह ऐसा कदम है, जिससे वह नेपाल और भारत के उत्तरी मैदानों में जल प्रवाह पर नियंत्रण करेगा।

22 जनवरी को उपग्रह चित्रों का हवाला देते हुए बताया गया है कि चीन ने मापचा त्सांगपो नदी पर बांध के निर्माण का काम पूरा कर लिया है। मापचा सांगपो नदी, जिसे भारत में घाघरा और नेपाल में कर्णाली के नाम से जाना जाता है, पश्चिमी नेपाल और भारत के उत्तरी मैदानी इलाकों की आबादी के लिए मीठे पानी का एक महत्वपूर्ण और बारहमासी स्रोत है। यूरोपीय संघ के कोपरनिकस पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम के सेंटिनल-2 उपग्रह द्वारा ली गई तस्वीरों का उपयोग करते हुए सिनर्जिस की सेंटिनल हब वेबसाइट से उपग्रह इमेजरी के विश्लेषण से संकेत मिलता है कि बांध पर निर्माण जुलाई 2021 में शुरू हुआ था।

तिब्बत में रहे पवित्र कैलाश पर्वत के पास बुरांग में कंक्रीट की संरचना बनी हुई है, जो नेपाल के सीमावर्ती शहर हिल्सा से लगभग 18 मील उत्तर में और भारतीय सीमा से लगभग 37 मील पूर्व में है। लगभग 51,000 निवासियों के साथ हिल्सा एक महत्वपूर्ण बिंदु के रूप में है जबकि नेपाल के व्यापक पश्चिमी क्षेत्र में 40 लाख से अधिक लोग रहते हैं। नेपाल के बाद मापचा त्सांगपो नदी उत्तरी राज्य उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर अयोध्या से गुजरते हुए भारत में बहती है। अयोध्या में इसे सरयू कहा जाता है।

चीन की आधिकारिक समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार चीन कथित तौर पर बुरांग साइट के उत्तर में एक और बांध का निर्माण कर रहा है, जिसका निर्माण दिसंबर 2022 में शुरू होने की जानकारी दी गई है। नेपाल के भूराजनीतिक विशेषज्ञ अरुण कुमार सुवेदी ने कहा कि यह नई परियोजना मापचा त्सांगपो से ऊपर की ओर तिब्बत की नदी प्रणाली पर चीन के नियंत्रण को और बढ़ा सकती है।

प्रधानमंत्री के सलाहकार रह चुके सुवेदी ने बताया कि तिब्बत में चीन की बांध-निर्माण पहल इस परियोजना से आगे तक फैली हुई है। 2021 में चीन ने तिब्बत की नदी प्रणालियों को मुख्य भूमि से जोड़ने की योजना की घोषणा की थी, जिसमें भारत के साथ सीमा क्षेत्रों पर एक मेगा बांध का निर्माण शामिल है।

lakshyatak
Author: lakshyatak

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!