ताज़ा ख़बरें

चंपई सोरेन की कैबिनेट में कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम भी हुए शामिल

रांची- 02 फरवरी। हेमंत सरकार में संसदीय कार्यमंत्री और ग्रामीण विकास मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम पर चंपई सोरेन ने भरोसा जताया है। चंपई मंत्रिमंडल में आलमगीर आलम को शामिल किया गया है।

आलमगीर आलम, जिन्होंने साहिबगंज जिला के बरहड़वा प्रखंड के इस्लामपुर गांव को अपनी कर्मभूमि बनाया। जनमानस के विश्वास पर खरा उतरते हुए पंचायत के सरपंच से लेकर झारखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री तक सफर कर किया है। आलमगीर आलम 1978 में अपने गृह पंचायत महराजपुर से सरपंच पद का चुनाव लड़ा और निर्वाचित हुए। अपनी जिम्मेदारी को उन्होंने पूरा किया, इस बीच उन्होंने अपने क्षेत्र में काफी काम किया और लोगों की नजर में एक सक्रिय नेता के रूप में उभरे।

वर्ष 1995 में आलमगीर आलम पाकुड़ विधानसभा से पहली बार कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े लेकिन वो भाजपा के बेणी गुप्ता से हार गये। अपनी हार को जीत में बदलने के लिए आलमगीर आलम ने पाकुड़ की जनता का विश्वास जीतने का लगातार काम किया और इस दिशा में वो लगातार प्रयासरत रहे। इसके बाद वर्ष 2000 विधानसभा में भाजपा के बेणी गुप्ता से पराजित किया और 1995 की हार का बदला लिया। इसके बाद वो पहली बार अविभाजित बिहार में विधायक बने। उन्हें इस जीत का इनाम मिला और वो हस्तकरघा विभाग के राज्य मंत्री बनाए गए।

15 नवंबर, 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड अलग राज्य बना, जिसके कारण वह महज छह माह तक ही राज्य मंत्री पद पर रहे। वर्ष 2005 में पहली बार नये राज्य झारखंड में विधानसभा चुनाव हुआ। पाकुड़ विधानसभा से आलमगीर आलम भाजपा के बेणी गुप्ता को दूसरी बार हराकर विधायक बने। झारखंड में मधु कोड़ा की मिलीजुली सरकार में आलमगीर आलम विधानसभा अध्यक्ष बनाए गये। इस बीच वो लगभग दो साल तक स्पीकर के पद पर बने रहे।

वर्ष 2009 में हुए चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के अकील अख्तर से आलमगीर आलम को शिकस्त मिलीलेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कांग्रेस को जमीनी स्तर पर और मजबूत किया। इसके बाद आलमगीर आलम ने 2014 के विधानसभा चुनाव में अपनी हार का बदला लिया। इस जीत का उन्हें इनाम भी मिला और वे कांग्रेस विधायक दल के नेता चुने गए।

2019 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई आला नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। इसी बीच आलमगीर आलम ने पाकुड़ विधानसभा सीट पर फिर से काबिज होकर उन्होंने अपना कद और बड़ा कर लिया। कांग्रेस पार्टी के साथ साथ उन्होंने नयी सरकार में भी अपना स्थान पुख्ता किया और हेमंत सोरेन के बाद शपथ लेने वाले वह पहले मंत्री बने। हेमंत सरकार में संसदीय कार्यमंत्री रहते हुए उन्हें कांग्रेस पार्टी ने भी अहम जिम्मेदारी से नवाजा। एक बार फिर से चंपई सोरेन ने उनपर भरोसा जताया है और अब नए मंत्रिमंडल में में उन्हें जगह दी गयी है।

आलमगीर का पारिवारिक जीवन—

आलमगीर आलम का जन्म साहिबगंज के इस्लामपुर में वर्ष 1950 में हुआ। उनके पिता का नाम शमाउल हक और माता जमीना खातून है। आलमगीर आलम ने प्रारंभिक शिक्षा साहिबगंज से हासिल की। इसके बाद 1972 में साहिबगंज कॉलेज से स्नातक डिग्री लेने के बाद 1981 में विवाह कर गृहस्थ जीवन बिताने लगे। वर्ष 1981 में अपने ही गांव इस्लामपुर के ताजु बाबु उर्फ ताजामुल हक की बेटी निशात आलम के साथ आलमगीर आलम का निकाह हुआ। आलमगीर आलम ने बरहड़वा में लोहे के पार्ट्स की दुकान खोल कर व्यवसाय भी किया। आलमगीर आलम की दो संतानें हैं। इनमें एक बेटा तनवीर आलम और पुत्री नाजिया आलम हैं।

Join WhatsApp Channel Join Now
Subscribe and Follow on YouTube Subscribe
Follow on Facebook Follow
Follow on Instagram Follow
Follow on X-twitter Follow
Follow on Pinterest Follow
Download from Google Play Store Download

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button