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गाजा नरसंहार मामले पर ICJ के अंतरिम फैसले की जमाअत-ए-इस्लामी ने की सराहना

नई दिल्ली- 30 जनवरी। इजराइल को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) में खड़ा करने पर जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने दक्षिण अफ्रीका की सराहना करते हुए गाजा में युद्धविराम के लिए भारत सरकार और मुस्लिम देशों से इजराइल पर तत्काल दबाव बनाने का आग्रह किया है।

आईसीजे के फैसले में कहा गया कि इजराइल को गाजा के खिलाफ युद्ध में नरसंहार के कृत्यों से बचने के अपने दायित्व का सम्मान करना चाहिए। मीडिया को जारी एक बयान में जमाअत के अध्यक्ष ने कहा कि जमाअत-ए-इस्लामी हिंद इजरायल को संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च न्यायिक संस्था में घसीटे जाने के लिए दक्षिण अफ्रीका के साहसिक और सामयिक कदम की सराहना करती है। उपनिवेशवाद, कब्जे और रंगभेद से लड़ने की अपनी गौरवशाली विरासत को ध्यान में रखते हुए दक्षिण अफ्रीका ने फिलिस्तीन की ओर से मोर्चा संभाला और आईसीजे के समक्ष दलील दी कि इज़राइल मानवीय कानून के गंभीर उल्लंघन के लिए जिम्मेदार है और गाजा में नरसंहार कर रहा है।

उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका सही साबित हुआ है क्योंकि आईसीजे ने बिना किसी अनिश्चित शब्दों के कहा है कि गाजा को अनुच्छेद III में बताए गए नरसंहार और संबंधित निषिद्ध कृत्यों से बचाया जाना चाहिए और दक्षिण अफ्रीका को अधिकार है कि कन्वेंशन के तहत इजराइल से इन दायित्वों का सम्मान करने और अनुपालन की मांग करे।

जमाअत के अध्यक्ष ने कहा कि हम आईसीजे की कुछ टिप्पणियों का स्वागत करते हैं, विशेष रूप से पैरा 54, 78 और 79 में उल्लिखित टिप्पणियों का लेकिन हमें निराशा हुई है कि आईसीजे ने स्पष्ट रूप से गाजा में तत्काल युद्धविराम का आह्वान नहीं किया।

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Author: lakshyatak

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