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कानून और व्यवस्था को बनाए रखना एक विकसित लोकतंत्र की आधारशिला है: लोक सभा अध्यक्ष

नई दिल्ली- 15 नवंबर। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, हैदराबाद में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे भारतीय पुलिस सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों के 75वें बैच के लिए संसदीय लोकतंत्र शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान (प्राइड) द्वारा संसदीय पद्धतियों और प्रक्रियाओं के बारे में आयोजित परिबोधन पाठ्यक्रम का आज संसद परिसर में उद्घाटन किया।

इस प्रतिष्ठित सेवा में चयन पर प्रशिक्षणार्थी अधिकारियों को बधाई देते हुए बिरला ने आशा व्यक्त की कि वे न्याय के संरक्षक के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे और अत्यंत उत्कृष्टता के साथ देश में कानून और व्यवस्था बनाए रखेंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्रतिष्ठित भारतीय पुलिस सेवा के लिए चुना जाना उनकी लगन, बुद्धिमत्ता और निष्ठा का प्रमाण है, क्योंकि संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में सफल होने वाले उम्मीदवारों को विश्व स्तर पर अपने संबंधित क्षेत्रों में उत्कृष्ट माना जाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारियों के रूप में उन्हें कानून और न्याय व्यवस्था, जो एक निष्पक्ष और उन्नत समाज तथा एक विकसित लोकतंत्र की आधारशिला है, को बनाए रखते हुए राष्ट्र के प्रति योगदान करने का उत्कृष्ट अवसर मिला है।

यह टिप्पणी करते हुए कि अधिकारियों के लिए संसदीय प्रक्रियाओं को व्यापक रूप से समझना कितना आवश्यक है, बिरला ने लोकतांत्रिक संरचना की कार्यकारी, विधायी और न्यायिक शाखाओं के बीच सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि जहाँ संसद को देश के शासन के लिए कानून तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वहीं पुलिस प्रशासन का यह कर्तव्य है कि वह इन कानूनों को निष्पादित करे और यह सुनिश्चित करे कि कानून निर्माताओं द्वारा प्रस्तावित लाभ प्राप्त हों।

देश भर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस प्रशासन द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बात करते हुए बिरला ने विशेष रूप से अशांति के समय पर जनता को भरोसा दिलाने के उनके गुरुतर दायित्व का उल्लेख किया । उन्होंने विशेष रूप से संकट के समय में पुलिस बल और जनता के बीच विश्वास बनाए रखने के पहलू के महत्व पर भी जोर किया। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि कानून की रक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के साथ-साथ न्याय भी समाज में प्रत्येक व्यक्ति के लिए सुलभ विशेषाधिकार है, चाहे उनकी सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक स्थिति कुछ भी हो। बिरला ने कहा कि किसी देश की वैश्विक स्थिति उसकी कानून और व्यवस्था की स्थिति से बहुत हद तक प्रभावित होती है, इसलिए युवा प्रशिक्षु अधिकारियों की यह एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि वे कानून व्यवस्था बनाए रखें।

पुलिस प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्व पर जोर देते हुए बिरला ने कहा कि नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए जवाबदेही और पारदर्शिता सर्वोपरि है। बिरला ने यह भी कहा कि नीतियों और प्रक्रियाओं की जानकारी को खुले तौर पर साझा करके एक पारदर्शी पुलिस प्रशासन लोगों की रक्षा करने और कानून प्रवर्तन प्राधिकरण और इसके द्वारा सेवित लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने के कार्य में समाज को सक्रिय रूप से शामिल कर सकता है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से जांच में त्वरित एवं गुणात्मक परिणाम के लिए प्रौद्योगिकी का अधिकाधिक उपयोग करने का आग्रह किया। इस संबंध में बिरला ने उल्लेख किया कि पिछले सत्र के दौरान पेश किए गए पुलिस और आपराधिक कानूनों से संबंधित तीन नए विधेयक पारित होने के बाद, उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को और अधिक प्रभावी ढंग से निभाने में मदद मिलेगी। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से नवाचार को अपनाने का आग्रह किया, जिससे अपनी आधिकारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में उनकी क्षमता में वृद्धि हो ।

अधिकारियों को विभिन्न सामाजिक भूमिकाओं से सुपरिचित होने, मैत्रीपूर्ण व्यवहार बनाए रखने और नियमों और विनियमों को बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर देते हुए बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि पुलिस को कानून प्रवर्तन के ढांचे के भीतर काम करते समय सांस्कृतिक और पारंपरिक पहलुओं की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने इस बात का उल्लेख भी किया कि पुलिस प्रशासन का कार्य अपराध से निपटने से कहीं आगे बढ़कर अपराधियों का पुनर्वास करना भी है। अध्यक्ष ने पुलिस की सामाजिक भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि उन्हें भय के स्थान पर विश्वास पैदा करना चाहिए और लोगों को किसी भी अवैध या गलत गतिविधियों को रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

अपने संबोधन के अंत में बिरला ने युवा आईपीएस अधिकारियों में विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि अपने आज के कार्यों से वे पुलिस सेवा के भविष्य को नया रूप देंगे।

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Author: lakshyatak

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