नई दिल्ली- 19 अक्टूबर। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज पवन सिंह राजावत ने छापे के दौरान ‘द वायर’ के संपादकों के जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रिलीज करने के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ दिल्ली पुलिस की याचिका को खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त करके न केवल संपादकों को बेवजह परेशान कर रही है, बल्कि इससे व्यवसाय की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है।
तीस हजारी कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 23 सितंबर को ‘द वायर’ के संपादकों के जब्त इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रिलीज करने का आदेश दिया था। इस आदेश को दिल्ली पुलिस ने सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि प्रेस हमारे महान लोकतंत्र का चौथा खंभा है और अगर इसे स्वतंत्र रूप से काम करने की आजादी नहीं मिलेगी, तो ये लोकतंत्र की नींव के लिए गहरा आघात होगा। दिल्ली पुलिस इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की लगातार जब्ती कर न केवल संपादकों को बेवजह परेशान कर रही है, बल्कि व्यवसाय की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है। ऐसा करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी उल्लंघन है।
दरअसल,भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने द वायर और उसके संपादकों के खिलाफ एक शिकायत कर आरोप लगाया था कि उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की जा रही है। मालवीय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420,468, 469,171,500,120बी और 34 के तहत एफआईआर दर्ज की थी।