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अब हमें जीने के लिए सांसों पर भी टैक्स देना होगा: सुप्रियो भट्टाचार्य

रांची- 19 जुलाई। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जीएसटी को ‘जीने के लिए सांसों पर टैक्स’ बताया है। मंगलवार को झामुमो के केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में सुप्रियो ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की 47वीं बैठक में रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाकर मध्यम वर्ग पर आर्थिक बोझ डालने का काम मोदी सरकार ने किया है।

उन्होंने कहा कि सुबह चाय के साथ खाने वाले बन (ब्रेड) में अब 5 प्रतिशत, स्लैट और चॉक पर 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा। वहीं किसी बड़े ब्रांड का हीरा कोई खरीदता है तो उसपर केवल1.5 प्रतिशत टैक्स देना होगा। यानी रोटी के लिए 5 और विलासितापूर्ण सामान खऱीदने पर 1.5 प्रतिशत टैक्स। यह बताता है कि अब हमें जीने के लिए सांसों पर भी टैक्स देना होगा। सुप्रियो ने कहा कि केंद्र सरकार में थोड़ी सी भी संवेदना है, तो देश के नागरिकों से लिये जाने वाले टैक्स के लिए एक मानक बनाये, अन्यथा संसद से इच्छा मृत्यु वरण की आजादी के लिए एक कानून बना दें। भट्टाचार्य ने कहा कि मोदी सरकार जीएसटी के बहाने मध्यम वर्ग को सीधे-सीधे टारगेट कर रही है। 10 किलो का आटा लेने पर 5 प्रतिशत और 50 किलो लेने पर कोई टैक्स नहीं। 1 लीटर तेल लेने पर टैक्स देना पड़ेगा लेकिन 15 लीटर टैक्स लेने पर कोई टैक्स नहीं। यानी बड़े लोगों को सीधे-सीधे टैक्स से माफी। मतलब साफ है कि मोदी सरकार में कल्याणकारी राज्य की अवधारणा खत्म हो गयी है। झामुमो नेता ने कहा कि भाजपा के एक उद्योगपति मित्र ‘गौतम अडाणी दुनिया के चार बड़े लोगों में से एक हो गये हैं। हर दिन बेरोजगारी बढ़ रही है। लोग बदहाली के कगार पर हैं। दूसरी तरफ देश को जाति मजहब के नाम बांटकर कर लूट हो रही है। झामुमो इसे कभी बर्दाशत नहीं करेगा।

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Author: lakshyatak

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