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राज्यसभा से 12 सदस्यों के निलंबन का विपक्ष ने किया विरोध

नई दिल्ली- 29 नवंबर। कांग्रेस सहित 14 विपक्षी पार्टियों ने राज्यसभा में प्रस्ताव लाकर 12 सदस्यों को चालू सत्र के बाकी दिनों के लिए निलंबित किए जाने का विरोध किया है और कल इस संबंध में इन पार्टियों के सदन के नेता मिलकर आगे की रणनीति तैयार करेंगे। कांग्रेस, द्रमुक, सपा, एनसीपी, शिवसेना, राजद, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, एलजेडी, जेडीएस, एमडीएमके, टीआरएस और आप ने संयुक्त बयान जारी किया है। इन दलों का कहना है कि पिछले सदन में हुए दुखद घटनाक्रम के संबंध में राज्यसभा के सदस्यों को सरकार की ओर से प्रस्ताव लाकर निलंबित करना अप्रत्याशित और सदन के नियमों के विरूद्ध है।

इन पार्टियों का कहना है कि संसदीय लोकतंत्र की रक्षा और तानाशाही सरकार के निर्णय के विरोध में भविष्य की रणनीति तैयार करने के लिए विपक्षी दलों के राज्यसभा के नेता मंगलवार को मिलेंगे। विपक्ष सरकार के निर्णय की निंदा करता है। राज्यसभा ने संसद के शीतकालीन सत्र में अपने 12 सदस्यों को अमर्यादित आचरण के कारण चालू सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया है। इन सदस्यों को पिछले मानसून सत्र के दौरान आसन के प्रति अमर्यादित आचरण के कारण निलंबित किया गया है।

राज्यसभा ने सोमवार को कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, माकपा और भाकपा के कुल 12 सदस्यों को शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया था। इसमें कांग्रेस के 6, तृणमूल कांग्रेस के 2, शिवसेना के 2, माकपा और भाकपा के एक-एक सदस्य शामिल हैं।

जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है, उसमें फूलो देवी नेताम (कांग्रेस), छाया वर्मा (कांग्रेस), रिपुन बोरा (कांग्रेस), अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस), राजमणि पटेल (कांग्रेस), सैय्यद नासिर हुसैन (कांग्रेस), डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस), शांता क्षेत्री (तृणमूल कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना), अनिल देसाई (शिवसेना), एलामारम करीम (माकपा) और विनोय विस्वाम (भाकपा) का नाम शामिल है। मानसून सत्र के आखिरी दिन 11 अगस्त को सदन में आसन के प्रति अमर्यादित और अनियंत्रित आचरण के कारण इन सदस्यों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है।

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा में पिछले मानसून सत्र के आखिरी दिन बीमा संशोधन विधेयक पेश किये जाने के दौरान विपक्षी सदस्यों ने सभापति के आसन के समीप जाकर हंगामा शुरू कर दिया और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने कुछ कागज फाड़े और सभापति व सदन के अधिकारियों की ओर उछाल दिये और मार्शलों के साथ धक्कामुक्की भी की। सदन में हुई अमर्यादित घटना की जांच के लिए सभापति एम. वेंकैया नायडु ने सदन की नियमावली संख्या 256 के तहत उक्त कार्रवाई की।

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