हेल्थ

मां के दूध में भी बड़ी मात्रा में मिला आर्सेनिक

पटना- 25 फरवरी। बिहार के कई जिलों में नौनिहालों के लिए मां का दूध अब जहर बनता जा रहा। महावीर कैंसर संस्थान के शोध से कई चौंकाने वाली बातें सामने आई। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के द्वारा दिए गए प्रोजेक्ट पर शोध के क्रम में बिहार के कई जगहों पर मां के दूध में आर्सेनिक भारी मात्रा में पाया गया है जो नौनिहालों के लिए सीधे-सीधे जहर तुल्य है।

दरअसल, बिहार के कई जिलों में पीने के पानी और अनाज में आर्सेनिक की बड़ी मात्रा पाई गई। वहीं, अब महावीर कैंसर संस्थान ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च में पाया कि मां के दूध में आर्सेनिक की मात्रा की शोध शुरू की तो मात्र सात महीने के अंदर कई चौंकाने वाले परिणाम सामने आए।

बिहार के बक्सर, भोजपुर, सारण, वैशाली, भागलपुर और राजधानी पटना में महावीर कैंसर संस्थान की टीम ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर जांच की तो मां के दूध में भारी मात्रा में आर्सेनिक के अंश पाए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मां के दूध में पीने योग्य आर्सेनिक की मात्रा का प्रतिशत 0.2 से 0.6 माइक्रोग्राम पर लीटर पीने योग्य माना गया है।

महावीर कैंसर संस्थान ने बिहार के छह जिलों में आर्सेनिक के जो सैंपल जांच में पाए गए हैं वो काफी चौंकाने वाले हैं। बक्सर में इसकी सबसे ज्यादा मात्रा 495.2 माइक्रोग्राम पर लीटर के आसपास पाई गई। महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग के प्रभारी और पटना के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन प्रोफेसर अशोक कुमार घोष बताते हैं कि आर्सेनिक उपचार की अभी तक कोई भी दवाई देश दुनिया में उपलब्ध नहीं हो सकी है।

बातचीत में उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मदर मिल्क का सैंपल कलेक्ट करना बहुत ही चैलेंज भरा काम है । इसके लिए जब शोध विभाग की टीम ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण करती है तो इस दौरान महिला शोधकर्ताओं को भी टीम में शामिल किया जाता है ताकि वे महिलाओं को इस बात के लिए समझा-बुझाकर तैयार कर सकें।

उन्होंने बताया कि महिलाओं में बच्चों के पीने योग्य दूध की सैंपल के लिए 20 वर्ष से 40 वर्ष के महिलाओं के दूध का सैंपल इकट्ठा किया गया है और जब उसकी जांच की गई तो उसके काफी चौंकाने वाले परिणाम आए हैं। उन्होंने बताया कि बिहार के जिन 6 जिलों में मां के दूध में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक पाई गई है वहां के महिलाओं को इसके लिए अपने दूध की जांच कराना बहुत जरूरी है ताकि उनके बच्चे स्वस्थ और सुरक्षित रह सकें।

इसके अलावा जिन महिलाओं के मां के दूध में आर्सेनिक की मात्रा स्पष्ट हो चुका है। वैसी महिलाएं अपने खानपान और पीने योग्य पानी के लिए आर्सेनिक मुक्त पानी की व्यवस्था करें। शोध विभाग के डॉक्टर अरुण कुमार ने बताया कि एटॉमिक एजपशन पेट्रो फोटो मीटर के माध्यम से मां के दूध में आर्सेनिक के जांच की जाती है । यह अमेरिका से मंगाई गई मशीन है, जो कि बिहार में पहली मशीन है जो महावीर कैंसर संस्थान में शोध के लिए लगाई गई है।

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