
मधुबनी में गेहूं पटवन के बाद किसानों को नही मिल रही खाद
मधुबनी- 18 जनवार। घोघरडीहा प्रखंड क्षेत्र में किसानों की परेशानी कम होने का नाम नही ले रहा है। खाद के लिए किसानों में हाहाकार मचा हुआ है। गेहूम बोआई के समय डीएपी की कमी के कारण किसानों को गेहूं की खेती कम करनी पड़ी। अब पटवन के बाद खेतों में छिटने के लिए यूरिया खाद ही नही मिल रहा है, जिससे किसान काफी परेशान है। प्रखंड के ब्रह्मपुरा, बथनाहा, बेलहा, इनरवा, हुलासपट्टी, भोलीरही, पिरोजगढ़, अमही, बनरझुला आदि गांव के किसानों का मानना है कि सरकार किसानो की समस्या पर ध्यान नही दे रही है। वरिष्ठ राजद नेता राम नारायण प्रसाद ने बताया कि प्रखंड क्षेत्र के उर्वरक बिक्रेताओं को जितनी उर्वरक का आवंटन मिलता है उसका आधा वो कालाबाजारी में बेच देते है। बांकी आधा आवंटन दिखावे के लिए किसानों में वितरण किया जाता है.उसमें भी आधा उर्वरक सफेदपोश ले जाते है। बचीखुची उर्वरक के लिए किसान दुकान के आगे आधी रात से लाइन लगाकर बैठे रहते है और एक बोरी यूरिया के लिए किसान दुकानदार के सामने ऐसे गिड़गिड़ाते रहते है,जैसे दुकानदार उसे यूरिया देकर उसपर बड़ा अहसान कर रहा हो। श्री यादव ने बताया कि सरकार की उदासीनता के कारण खेती करना किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। सरकार की ओर से घोषणा भले जो भी किया जाता रहा हो, लेकिन सच्चाई यही है कि अन्नदाता किसानो की सुनने वाला कोई नहीं है? वहीं किसान राम चलितर राय ने बताया कि पहले डीएपी खाद ब्लैक से लेकर किसी तरह गेहूं के खेतों को आबाद किया। अब जब पटवन का समय आया और खेतों की सिंचाई के बाद अब यूरिया नही मिल रहा है। ऐसे में हम गरीब किसान खेती किस दम पर करें। कई किसानों ने तो खाद की किल्लत से परेशान होकर गेहूं की जगह मसूर की खेती कर लिए। प्रखंड कृषि पदाधिकारी अनिल सिंह ने बताया कि मंगलवार को सुल्तानिया ब्रदर्स को 250 बोरी और राधा-कृष्ण खाद बिक्रेता बसुआरी को 450 बोरी यूरिया का आवंटन मिला है। बताया जाता है कि दुकानदार उर्वरक की कालाबाजारी के लिए भोलेभाले महिला व बुजुर्ग किसानों के आधार कार्ड पर अधिक उर्वरक का उठाव दिखाकर खाद को ऊँची कीमत पर कालाबाजारी में बेचते है। किसी भी किसान को खाद का पक्का रसीद नही देते है। मोटी दाना का आईपीएल यूरिया 350 रुपए बोरी बेची जा रही है।



