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भारत ने ड्यूक्स गेंद की गुणवत्ता पर जताई नाराजगी, 10 ओवर में ही नई गेंद हुई बेकार

लंदन- 11 जुलाई। लॉर्ड्स टेस्ट के दूसरे दिन एक बार फिर ड्यूक्स गेंदों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे हैं। भारत ने दूसरी नई गेंद के रूप में दी गई प्रतिस्थापन गेंद पर नाराज़गी जताई, जो सिर्फ 10.3 ओवर के भीतर ही अपनी शेप खो बैठी और मापने के गेज से पार नहीं हो सकी। पहली गेंद से जहां जसप्रीत बुमराह ने महज 14 डिलीवरी में तीन विकेट लेकर इंग्लैंड पर कहर बरपाया, वहीं दूसरी गेंद आते ही मैच का रुख ही बदल गया। इंग्लैंड के निचले क्रम के बल्लेबाज़ (नंबर 7 और 9) ने बिना किसी परेशानी के पूरे सत्र में टिककर बल्लेबाज़ी की। भारत के विरोध के बाद 48 गेंदों के भीतर गेंद दोबारा बदली गई।

गेंद का आँकड़ा बताता है अंतर—

दूसरी नई गेंद, जो 10.3 ओवर में ही खराब हो गई, औसतन 1.869 डिग्री स्विंग और 0.579 डिग्री सीम दे रही थी। जबकि प्रतिस्थापन गेंद सिर्फ 0.855 डिग्री स्विंग और 0.594 डिग्री सीम कर रही थी। हालांकि आँकड़ों से ज्यादा गेंद की नरमी और पुराना दिखना भारत के लिए चिंता का कारण रहा।

स्टुअर्ट ब्रॉड और नासिर हुसैन ने भी जताई चिंता—

पूर्व इंग्लिश तेज़ गेंदबाज़ स्टुअर्ट ब्रॉड, जो 2020 से ड्यूक्स गेंदों की आलोचना करते रहे हैं, ने इस मुद्दे को लेकर एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा,”क्रिकेट गेंद को एक अच्छे विकेटकीपर की तरह होना चाहिए – जो दिखे नहीं। लेकिन हम बार-बार गेंद के बारे में बात कर रहे हैं क्योंकि यह एक समस्या बन गई है। हर पारी में बदल दी जाती है। यह अस्वीकार्य है। पांच साल हो गए, ड्यूक्स को इसे सुधारना होगा। एक गेंद को 80 ओवर तक चलना चाहिए, न कि सिर्फ 10 ओवर तक।”

पूर्व कप्तान नासिर हुसैन ने स्काई स्पोर्ट्स पर कहा,”पहली बात ये है कि ड्यूक्स गेंद को लेकर गंभीर समस्या है। दोनों कप्तानों ने मैच से पहले भी इस पर बात की थी। इस मैच में भी देखा गया कि गेंद दो बार बदली गई। दूसरी बात ये है कि अब हम गेंद बदलने के मामले में कुछ ज़्यादा ही सतर्क हो गए हैं। इतिहास में गेंद पुरानी होती है, नरम होती है – ये स्वाभाविक है। पर अब हर कोई परफेक्ट गेंद चाहता है। तीसरी और सबसे अहम बात ये है कि जब बुमराह का जादू चल रहा था, उस समय आपने गेंद क्यों बदली? आपको कुछ हासिल हो रहा था, उस समय आप अनजानी गेंद से जोखिम क्यों लेंगे?”

2020 से विवादों में ड्यूक्स गेंद, ईसीबी ने कूकाबुरा को भी आज़माया—

2020 के बाद से ड्यूक्स गेंदें अक्सर शेप खोने और जल्दी नरम होने के लिए आलोचना का शिकार रही हैं। इसी वजह से ईसीबी ने इस सीज़न में काउंटी चैम्पियनशिप के चार राउंड में कूकाबुरा गेंदों का प्रयोग भी शुरू किया है।

इस सीरीज़ में भी कई बार फील्डिंग कप्तानों ने मैच की शुरुआत में ही गेंद को लेकर शिकायत की है और लगभग हर टेस्ट में 43वें ओवर के आसपास गेंद बदली गई है।

गेंद और पिच का मिला-जुला असर: रिकॉर्ड बन रहे हैं—

गेंद और पिच के संयोजन से इस सीरीज़ में विकेटों का औसत 31वें से 80वें ओवर के बीच 86.09 तक पहुंच गया है, जो इंग्लैंड में अब तक दर्ज सबसे ऊंचा औसत है (जब से गेंद-दर-गेंद आंकड़े मौजूद हैं)। ये आंकड़ा दुनिया भर के टेस्ट इतिहास में तीसरा सबसे बड़ा औसत है।

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