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भारत की समुद्री सुरक्षा मजबूत करने के लिए तीन दिन दिल्ली में मंथन करेंगे कमांडर, नौसेना को वर्ष 2047 तक आत्मनिर्भरता दिलाने के लिए होगी परियोजना पर समीक्षा

नई दिल्ली- 03 सितंबर। भारत की समुद्री सुरक्षा मजबूत करने के इरादे से भारतीय नौसेना के कमांडर 04 से 06 सितंबर तक दिल्ली में विचार मंथन करेंगे। नौसेना कमांडर हथियारों और सेंसर के प्रदर्शन तथा भारतीय नौसेना के प्लेटफार्मों की तैयारी की समीक्षा भी करेंगे। 2023 में नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का यह दूसरा संस्करण नौसेना की युद्धक क्षमता बढ़ाने के तरीकों की तलाश करेगा। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट भी नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार 2023 के नौसेना कमांडरों के सम्मेलन का दूसरा संस्करण 04 से 06 सितंबर तक नई दिल्ली में निर्धारित है। यह सम्मेलन शीर्ष स्तर का द्विवार्षिक कार्यक्रम है, जिसमें नौसेना कमांडर महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों पर विचार-विमर्श करेंगे। ‘हाइब्रिड’ प्रारूप में आयोजित होने वाले तीन दिवसीय सम्मेलन के दौरान नौसेना प्रमुख एडमिरल आर. हरि कुमार की अध्यक्षता में भारतीय नौसेना का वरिष्ठ नेतृत्व प्रमुख परिचालन,सामग्री,रसद, मानव संसाधन,प्रशिक्षण और प्रशासनिक कार्यों की समीक्षा करेगा। पिछले छह महीनों के दौरान की गई गतिविधियों के साथ सम्मेलन में आगामी महीनों में अपनाए जाने वाले पाठ्यक्रम पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

सम्मेलन के दौरान रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे और उनके साथ बातचीत करेंगे। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान भी उपस्थित रहेंगे। यह सम्मेलन देश के समग्र आर्थिक विकास के लिए आवश्यक सुरक्षित समुद्री वातावरण के विकास की दिशा में कई अंतर-मंत्रालयी पहलों को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ नौसेना कमांडरों की संस्थागत बातचीत का अवसर प्रदान करेगा। सम्मेलन में एनएसए, भारतीय सेना और भारतीय वायुसेना के प्रमुखों के साथ त्रि-सेवा तालमेल के मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के साथ ही समुद्री बलों की तैयारी का आकलन किया जाएगा।

नौसेना के कमांडर विवेक मधवाल ने बताया कि पिछले छह महीनों के दौरान तीव्र परिचालन गति देखी गई है, क्योंकि भारतीय नौसेना का अभियान अटलांटिक से प्रशांत महासागर तक फैला हुआ है। भारतीय नौसेना के जहाज़ों ने ‘ऑपरेशन कावेरी’ के हिस्से के रूप में सूडान से भारतीय नागरिकों की निकासी की थी और ‘ऑपरेशन करुणा’ के दौरान चक्रवात मोचा के बाद म्यांमार में राहत एवं बचाव कार्य चलाया था। यह फोरम नौसेना की परिचालन तैयारियों की विस्तृत समीक्षा करेगा, जिसमें नौसेना के हथियारों, सेंसर के प्रदर्शन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि कमांडर 2047 तक पूर्ण ‘आत्मनिर्भरता’ हासिल करने की दृष्टि के अनुरूप ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ाने पर नौसेना परियोजनाओं की भी समीक्षा करेंगे। सम्मेलन के मौके पर नौसेना के स्वदेशीकरण, नवाचार और तकनीकी पहल का प्रदर्शन करने की भी योजना बनाई गई है। साथ ही भारतीय नौसेना में पुरानी प्रथाओं की पहचान करने और उन्हें हटाने की दिशा में हुई प्रगति की भी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना हिन्द महासागर और उसके बाहर अनिश्चित भू-रणनीतिक स्थितियों के कारण उभरने वाली सभी समुद्री सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए तैयार है।

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