भारत

देश के आर्थिक विकास में सहकारिता का अतुलनीय योगदान: राष्ट्रपति मुर्मू

नई दिल्ली- 02 सितंबर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि निजी उद्योग और व्यापार ने देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन सहकारिता का योगदान देश के विकास में अतुलनीय है। राष्ट्रपति साेमवार काे महाराष्ट्र के कोल्हापुर के वारणानगर में श्री वारणा महिला सहकारी उद्योग समूह के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रही थीं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सहकारिता समाज में निहित शक्ति का सदुपयोग करने का सर्वोत्तम माध्यम है। इसके सिद्धांत संविधान में वर्णित न्याय, एकता और बंधुत्व की भावना के अनुरूप हैं। जब विभिन्न वर्गों और विचारधाराओं के लोग सहयोग के लिए एकजुट होते हैं, तो उन्हें सामाजिक विविधता का लाभ मिलता है। देश के आर्थिक विकास में सहकारिता ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अमूल और लिज्जत पापड़ जैसे घर-घर में जाने जाने वाले ब्रांड सहकारिता की ही देन हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि अगर आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है, तो इस सफलता में सहकारी समूहों का महत्वपूर्ण योगदान है। लगभग सभी राज्यों में सहकारी समितियां मुख्य रूप से दूध उत्पादों का उत्पादन और वितरण करती हैं। केवल दूध ही नहीं, सहकारी संस्थाएं उर्वरक, कपास, हैंडलूम, हाउसिंग, खाद्य तेल और चीनी जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

उन्होंने कहा कि सहकारी संस्थाओं ने गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। लेकिन तेजी से बदलते इस दौर में उन्हें खुद को बदलने की जरूरत है। उन्हें जितना संभव हो सके तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए और प्रबंधन को और अधिक पेशेवर बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई सहकारी संस्थाएं पूंजी और संसाधनों की कमी, गवर्नेंस और प्रबंधन तथा कम भागीदारी जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं। उन्होंने कहा कि इस दिशा में अधिक से अधिक युवाओं को सहकारी संस्थाओं से जोड़ना महत्वपूर्ण हो सकता है। युवा शासन और प्रबंधन में तकनीक को शामिल करके उन संस्थाओं को बदल सकते हैं। उन्होंने सहकारी संस्थाओं को जैविक खेती, भंडारण क्षमता निर्माण और ईको-टूरिज्म जैसे नए क्षेत्रों की खोज करने की सलाह दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी उद्यम की सफलता का असली राज उसका आम लोगों से जुड़ाव है। इसलिए सहकारिता की सफलता के लिए लोकतांत्रिक व्यवस्था और पारदर्शिता बहुत जरूरी है। सहकारी संस्थाओं में सदस्यों के हितों को सर्वोपरि रखा जाना चाहिए। इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी सहकारी संस्था किसी व्यक्ति के निजी स्वार्थ और लाभ कमाने का साधन न बने, अन्यथा सहकारिता का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा। सहकारिता में किसी एक के एकाधिकार के बजाय वास्तविक सहयोग होना चाहिए।

राष्ट्रपति ने उपस्थित जनसमूह, जिसमें अधिकतर महिलाएं शामिल थीं, से शिक्षा के महत्व को समझने, नई तकनीक सीखने, दैनिक जीवन में पर्यावरण संरक्षण को महत्व देने, जरूरतमंदों की मदद करने तथा देश के विकास में योगदान देने के लिए हमेशा तत्पर रहने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमारे व्यक्तिगत और सामूहिक प्रयास भारत को विश्व मंच पर उच्च स्थान पर पहुंचाएंगे।

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