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जम्मू-कश्मीर पुलिस को जल्द मिलेंगीं अमेरिकी असॉल्ट राइफल्स और पिस्तौलें

नई दिल्ली- 04 जनवरी। जम्मू-कश्मीर के पुलिस कर्मियों को आतंकवाद विरोधी अभियानों से निपटने के लिए जल्द ही अमेरिकी सिग सॉयर असॉल्ट राइफलें और पिस्तौलें मिलेंगी। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) और चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात सैनिकों को पहले ही अत्याधुनिक राइफलों से लैस कर दिया है। भारत ने 2019 में अमेरिकी कंपनी सिग सॉयर के साथ लगभग 647 करोड़ रुपये की लागत से 72,400 असॉल्ट राइफलों की आपूर्ति के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे।

जम्मू-कश्मीर पुलिस मौजूदा समय में इंसास (इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम) राइफल का इस्तेमाल कर रही है, जिसमें 5.56×45 मिमी. इंटरमीडिएट कारतूस प्रयोग किया जाता है। इसके विपरीत सिग सॉयर-716 असॉल्ट राइफल में अधिक शक्तिशाली 7.62×51 मिमी. कारतूस का इस्तेमाल किया जाता है, इसीलिए अमेरिकी राइफल की मारक क्षमता इंसास के मुकाबले अधिक है। बिना मैगजीन के 3.82 किलोग्राम वजनी सिग सॉयर-716 राइफल 650-850 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर करती है और 500 मीटर की रेंज के कारण आतंकवाद विरोधी अभियानों में एक प्रभावी हथियार साबित हो सकती है। इसके अलावा यह राइफलें कॉम्पैक्ट, मजबूत और आधुनिक हैं।

इसी तरह जम्मू-कश्मीर पुलिस को 100 सिग सॉयर एमपीएक्स 9 एमएम पिस्तौल मिलेंगीं। बिना मैगजीन के 2.94 किलोग्राम वजनी एसआईजी एमपीएक्स 9 एमएम पिस्टल 850 राउंड प्रति मिनट की चक्रीय गति से फायर करती है। दोनों हथियारों को शामिल करने से जम्मू-कश्मीर पुलिस को आतंकवादियों से निपटने में अधिक प्रभावी ढंग से काम करने में मदद मिलेगी। जम्मू और कश्मीर पुलिस शायद देश में पहली है, जिसे आधुनिक हथियार मिलने हैं। विशेष अभियान समूह (एसओजी) और वीआईपी लोगों की सुरक्षा के लिए तैनात कर्मियों को भी इन हथियारों से लैस किया जाएगा।

भारतीय सेना ने अक्टूबर, 2017 में लगभग 7 लाख राइफल, 44 हजार लाइट मशीनगन और लगभग 44,600 कार्बाइन हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके बाद फरवरी, 2019 में भारत ने अमेरिकी कंपनी सिग सॉयर के साथ लगभग 647 करोड़ रुपये की लागत से 72,400 असॉल्ट राइफलों के लिए एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। 600 मीटर दूरी तक मार करने की क्षमता वाली सिग-716 असॉल्ट रायफलें फास्ट-ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) सौदे के तहत खरीदी गईं थी। 7.62X51 मिमी. कैलिबर की असॉल्ट रायफल्स की जब दिसम्बर, 2019 में आपूर्ति हुई तो सबसे पहले जम्मू-कश्मीर के उधमपुर स्थित उत्तरी कमान को दी गईं। इसके बाद हिमाचल प्रदेश से सटी एलएसी और जम्मू सहित पंजाब से सटी पाकिस्तानी सीमा पर यह अमेरिकन राइफलें दी गईं थीं।

पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा के अग्रिम मोर्चों पर तैनात सैनिकों के हाथों में भी अमेरिकी सिग सॉयर 716 असॉल्ट राइफलें और स्विस एमपी-9 पिस्टल आ गईं हैं। पाकिस्तान और चीन की सीमा पर तैनात पैदल सेना की बटालियनों को सिग सॉयर रायफल अधिक संख्या में मिली हैं जबकि अन्य बटालियनों को कम से कम 50 प्रतिशत दी गई हैं। इन रायफल्स का उद्देश्य होता है ‘शूट टू किल’, इसीलिए इनका इस्तेमाल अमेरिका के अलावा दुनियाभर की करीब एक दर्जन देशों की पुलिस और सेनाएं करती हैं। इसके अलावा सेना ने मूल अमेरिकी मेक को स्थानीय रूप से निर्मित 7.62 लाइट मशीन गन (एलएमजी) के आसानी से उपलब्ध राउंड के साथ बदल दिया है। अब एक बिपोड के साथ रायफल को एलएमजी के रूप में अधिक सटीकता के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।

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