भारत

UP में 851 में से 682 की जमानत जब्त, कुछ को नोटा से भी कम वोट

लखनऊ- 06 जून। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक उप्र की 80 लोकसभा सीटों के लिए कुल 851 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे थे। इनमें से 682 अपनी जमानत बचा पाने में विफल रहे। मुख्य मुकाबला बीजेपी और इंडी गठबंधन के बीच रहा। प्रमुख दलों में बीएसपी के प्रत्याशी ज्यादातर सीटों पर अपनी जमानत गवां बैठे।

उल्लेखनीय है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी की 80 सीटों पर कुल 979 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से 819 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी।

सबसे ज्यादा प्रत्याशी घोसी, सबसे कम कैसरगंज में—

2024 के आम चुनाव में यूपी की 80 सीटों पर कुल 851 प्रत्याशी मैदान में थे। इसमें 80 महिलाएं शामिल थी। सबसे ज्यादा 28 उम्मीदवार पूर्वांचल की घोसी संसदीय सीट से मैदान में उतरे। वहीं सबसे कम 04 प्रत्याशी कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से मैदान में थे।

घोसी में 28 में से 25 की जमानत जब्त—

घोसी सीट से सपा के राजीव राय जीते हैं। इस सीट से कुल 28 प्रत्याशी मैदान में थे। राजीव राय को 503,131 (43.73 प्रतिशत) वोट मिले। दूसरे नंबर पर रहे एनडीए में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के डॉ. अरविन्द राजभर के खाते में 340,188 (29.57 प्रतिशत) वोट आए। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) बालकृष्ण चौहान को 209,404 (18.2 प्रतिशत) वोट मिले। सपा, सुभासपा और बीएसपी के प्रत्याशियों के अलावा शेष 25 प्रत्याशी अपनी जमानत गंवा बैठे। जमानत गंवाने वालों में चार प्रत्याशी ही नोटा (नन ऑफ द एबव) से ज्यादा वोट हासिल कर सके।

यूपी में जमानत जब्त का रिकार्ड—

2019 के लोकसभा चुनाव में 979 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे,जिसमें से 819 प्रत्याशी यानी 83.65 प्रत्याशी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे। इसी प्रकार से 2014 के चुनाव में 1288 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 1087 प्रत्याशियों 84.39 प्रतिशत की जमानत जब्त हो गयी थी। ऐसे ही 2009 के चुनाव में 1368 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे, जिसमें से 1155 प्रत्याशी 84.42 प्रतिशत नेता चुनाव में अपनी जमानत नहीं बचा पाए। जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में 1138 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे जिसमें से 907 प्रत्याशी 79.70 प्रतिशत उम्मीदवार चुनाव हार गए थे।

क्यों होती है जमानत ज़ब्त?

निर्वाचन आयोग के मुताबिक अगर प्रत्याशी को कुल वोटों का छठा हिस्सा यानी 16.66 प्रतिशत मत नहीं मिलता है तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। लोकसभा चुनाव में जमानत जब्त राशि 25 हजार रुपये जनरल के लिए व एससी व एसटी के लिए साढ़े बारह हजार होती है, जो पहले ही प्रत्याशी को जमा करनी होती है।

किन हालातों में वापस हो जाती है जमानत राशि?

-उम्मीदवार को जब 1/6 से ज्यादा वोट हासिल होते हैं तो उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है।

-जीतने वाले उम्मीदवार को भी उसकी रकम वापस कर दी जाती है, भले ही उसे 1/6 से कम वोट मिले हों।

-वोटिंग शुरू होने से पहले अगर किसी उम्मीदवार की मौत हो जाती है, तो उसके परिजनों को रकम लौटा दी जाती है।

-उम्मीदवार का नामांकन रद्द होने या फिर नामांकन वापस लेने की स्थिति में जमानत राशि वापस कर दी जाती है।

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