भारत

देश में बुलेट ट्रेन का पहला परिचालन सूरत-बिलिमोरा खंड 2027 में चालू हो जाएगा: रेल मंत्री

नई दिल्ली- 27 सितंबर। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना का पहला परिचालन खंड सूरत से बिलिमोरा के बीच 2027 में चालू हो जाएगा। उन्होंने सूरत में हाई स्पीड रेल परियोजना कार्य का जायजा लिया और परियोजना की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।

वैष्णव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सूरत-बिलिमोरा के बीच काम तेजी से चल रहा है। स्टेशन का सिविल वर्क पूरा हो चुका है और फ़िनिशिंग व यूटिलिटी वर्क अभी चल रहा है। ट्रैक कार्यों में कई नई तकनीकों का उपयोग किया गया है, जो देश की किसी भी अन्य परियोजना में पहली बार अपनाई गई हैं। उन्होंने कहा कि बुलेट ट्रेन परियोजना में प्रयुक्त ये तकनीकें आने वाले समय में देश की अन्य रेल परियोजनाओं के लिए भी लाभकारी साबित होंगी।

उन्होंने कहा कि सूरत स्टेशन पर पहला टर्नआउट सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया है। टर्नआउट रेलवे ट्रैक का महत्वपूर्ण जंक्शन होता है। यह सुविधा हाई-स्पीड ट्रेनों के संचालन में सुगमता लाएगी। जब ट्रेनें 320 से 340 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती हैं और ट्रैक आपस में जुड़ते हैं, तो उसमें किसी भी प्रकार का गैप नहीं होना चाहिए। इस परियोजना में यह तकनीक सफलतापूर्वक अपनाई गई है।

उन्होंने बताया कि पटरियों में रोलर बेयरिंग भी लगे हैं, जिससे बुलेट ट्रेन अधिक सुरक्षित और सुगमता से तेज़ गति से चल सकेगी। इसके अतिरिक्त, पटरियों पर स्लीपर कंक्रीट की बजाय मिश्रित सामग्री से बनाए गए हैं। इससे उच्च स्थायित्व, कम रखरखाव और तेज़ गति पर बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित होगा। यात्री सुविधा को और बेहतर बनाने एवं वातावरण में शोर को कम करने के लिए डैम्पर्स के रूप में एक कंपन अवशोषण तंत्र शुरू किया गया है। ये डैम्पर्स शोर और झटके को अवशोषित करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि इस परियोजना से हम सूरत से मुंबई एक घंटे में पहुंच सकेंगे। स्टेशन पुनर्विकास और ट्रैक बिछाने का काम लगातार जारी है। हाई-स्पीड रेल परियोजना अंततः कनेक्टिविटी में बदलाव लाएगी और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देगी। अहमदाबाद और मुंबई का पूरा खंड एक आर्थिक गलियारा बन जाएगा। यह परियोजना रेलवे प्रौद्योगिकी और यात्री अनुभव में भी नए मानक स्थापित करेगी।

सूरत स्टेशन की विशेषताओं का उल्लेख करते हुए रेल मंत्री ने बताया कि यहां सभी बुलेट ट्रेनें रुकेंगी। स्टेशन पर दो साइड ट्रैक और दो सेंट्रल ट्रैक के साथ दो प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं—एक मुंबई की दिशा में और दूसरा अहमदाबाद की दिशा में। स्टेशन के मध्य में विशाल कंकर्स हॉल तैयार किया गया है, जिससे यात्री सुविधा और आवाजाही में सुगमता रहेगी।

रेल मंत्री ने कहा कि परियोजना का सूरत-बिलिमोरा खंड सबसे पहले चालू होगा और इसके परिचालन से हाई-स्पीड रेल की दिशा में भारत एक महत्वपूर्ण कदम उठाएगा।

सूरत बुलेट ट्रेन स्टेशन आधुनिक यात्री सुविधाओं और कनेक्टिविटी के मामले में नया मानक स्थापित करने जा रहा है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना के तहत बन रहा यह स्टेशन सूरत को देश के सबसे उन्नत परिवहन ढांचे से जोड़ देगा। स्टेशन को यात्रियों की सुविधा और आराम को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है, जिसमें सुकून भरे इंटीरियर, प्राकृतिक रोशनी के लिए स्काईलाइट्स और हवादार प्लेटफॉर्म शामिल हैं। यात्री सुविधाओं में वेटिंग लाउंज, नर्सरी, शौचालय, रिटेल आउटलेट्स और साफ-सुथरे कंकर्स स्तर पर टिकटिंग काउंटर जैसी व्यवस्थाएं होंगी। बुजुर्गों, दिव्यांगजनों और बच्चों के साथ यात्रा करने वाले परिवारों के लिए विशेष सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी। यात्रियों को मार्गदर्शन देने के लिए स्पष्ट साइनज, सूचना कियोस्क और सार्वजनिक उद्घोषणा प्रणाली लगाई जा रही है।

रेलवे के अनुसार, स्टेशन को बहु-माध्यमीय कनेक्टिविटी से जोड़ने की दिशा में भी विशेष कदम उठाए गए हैं। सूरत नगर निगम और सूरत शहरी विकास प्राधिकरण के सहयोग से तैयार किए गए मल्टी-मोडल इंटीग्रेशन प्लान के तहत यात्री आसानी से मेट्रो, बस, टैक्सी, ऑटो और अन्य स्थानीय परिवहन साधनों के बीच स्विच कर सकेंगे। इससे स्टेशन परिसर के आसपास का यातायात सुगम बनेगा और यात्रा का समय भी बचेगा। सूरत-बर्दोली रोड के पास अंतरौली गांव में स्थित यह स्टेशन बीआरटीएस बस स्टॉप, प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन, सूरत रेलवे स्टेशन, सिटी बस स्टैंड और चालथान रेलवे स्टेशन से भी अच्छी तरह जुड़ा होगा।

पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को ध्यान में रखते हुए स्टेशन को भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) मानकों के अनुरूप विकसित किया जा रहा है। इसमें वर्षा जल संचयन, लो-फ्लो सैनिटरी फिटिंग्स, पर्यावरण अनुकूल पेंट, प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन की विशेष व्यवस्थाएं शामिल हैं। स्टेशन का बाहरी और आंतरिक डिजाइन सूरत की पहचान हीरे से प्रेरित होकर बनाया गया है, जिससे यह शहर की सांस्कृतिक विरासत और आधुनिकता का संगम प्रस्तुत करेगा।

स्टेशन का कुल निर्मित क्षेत्र 58,352 वर्ग मीटर है और इसकी ऊंचाई 26.3 मीटर होगी। भवन को तीन स्तरों पर विकसित किया गया है। ग्राउंड स्तर पर पार्किंग, पिक एंड ड्रॉप सुविधा, सुरक्षा जांच, लिफ्ट और एस्केलेटर होंगे। कंकर्स स्तर पर यात्री लाउंज, टिकटिंग, रेस्ट रूम और कियोस्क बनाए जाएंगे, जबकि प्लेटफॉर्म स्तर को अत्याधुनिक मानकों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।

परियोजना की प्रगति की बात करें तो 25 सितंबर तक 508 किमी लंबे बुलेट ट्रेन कॉरिडोर पर उल्लेखनीय काम पूरा हो चुका है। इसमें 323 किमी वायाडक्ट और 399 किमी पियर का काम शामिल है। 17 नदी पुल, 5 पीएससी और 9 स्टील पुल तैयार किए जा चुके हैं। 210 किमी हिस्से पर 4 लाख से अधिक नॉइज़ बैरियर्स लगाए गए हैं। 210 ट्रैक किमी ट्रैक बेड का निर्माण पूरा हो चुका है और 52 किमी मुख्य लाइन वायाडक्ट पर 2100 से अधिक ओएचई मस्त स्थापित हो चुके हैं। पालघर जिले में सात सुरंगों की खुदाई जारी है, जबकि बीकेसी से शिलफाटा तक 21 किमी लंबी सुरंग में से 5 किमी का कार्य पूरा हो चुका है।

सूरत और अहमदाबाद में रोलिंग स्टॉक डिपो का काम प्रगति पर है। गुजरात के सभी स्टेशनों पर सुपर स्ट्रक्चर कार्य अंतिम चरण में पहुंच चुका है। वहीं, मुंबई भूमिगत स्टेशन पर बेस स्लैब कास्टिंग शुरू कर दी गई है। यह स्टेशन न केवल सूरत की पहचान को नई ऊंचाई देगा, बल्कि यात्रियों को सुरक्षित, तेज और आरामदायक यात्रा का नया अनुभव भी प्रदान करेगा।

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