
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष को भेजा अवमानना नोटिस
नई दिल्ली- 17 नवंबर। उच्चतम न्यायालय ने बीआरएस विधायकों की अयोग्यता पर अभी तक फैसला नहीं करने पर तेलंगाना के विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने तीन महीने का समय बीत जाने के बाद भी कोई फैसला नहीं किया।
31 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश दिया था कि वे कांग्रेस में शामिल हुए 10 बीआरएस विधायकों की अयोग्यता याचिकाओं पर तीन महीने के भीतर फैसला करें। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करने में देरी लोकतंत्र के लिए खतरा है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि संसद को, विधायकों की अयोग्यता के मामलों में निर्णय लेने की मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि कई बार विधानसभा अध्यक्ष इन मामलों में जानबूझकर देरी करते हैं, जिससे दलबदलू विधायकों के खिलाफ कार्रवाई बेअसर हो जाती है।
बीआरएस पार्टी ने दायर याचिका में कहा है कि बीआरएस के टिकट पर 2023 के विधानसभा चुनाव लड़ने वाले 10 विधायकों के संबंध में दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला लेने में तेलंगाना विधानसभा के स्पीकर काफी देरी रहे हैं। ये विधायक बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। 10 फरवरी को उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि लोकतंत्र में पार्टियों के अधिकार को खत्म नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने राज्य विधानसभा के स्पीकर से कहा था कि वे एक निर्धारित समय सीमा में अयोग्यता के लिए दायर अर्जियों पर फैसला करें।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि हम लोकतंत्र के दो दूसरे स्तंभों का सम्मान करते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि संसद के कानून का मकसद ही कामयाब नहीं हो। कोर्ट ने स्पीकर को निर्देश दिया था कि वो ये बताएं कि वे कब तक इन अर्जियों पर फैसला करेंगे। कोर्ट ने विधानसभा स्पीकर की ओर से पेश वकील से पूछा कि आप इस पर भी निर्देश लेकर आएं कि क्या उचित समय का मतलब विधानसभा का सत्र समाप्ति तक तो नहीं है। इस मामले में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने विधानसभा के स्पीकर को निर्देश दिया था कि वे विधायकों की अयोग्यता के मामले पर जल्द फैसला लें।



