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उत्तराखंड स्थापना की रजत जयंती पर राष्ट्रपति का सम्बोधन, कहा- उत्तराखंड की शौर्य परंपरा देशवासियों के लिए गर्व की बात

देहरादून- 03 नवंबर। राष्ट्रपति द्राैपदी मुर्मु ने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं में भारतीय सेना में सेवा करके मातृ-भूमि की रक्षा करने के प्रति उत्साह दिखाई देता है। उत्तराखंड की यह शौर्य परंपरा सभी देशवासियों के लिए गर्व की बात है। भारत का यह पवित्र भूखंड अनेक ऋषि-मुनियों की तपस्थली रहा है। कुमाऊं व गढ़वाल रेजिमेंट के नाम से ही यहां की शौर्य परंपरा का परिचय मिलता है।

राष्ट्रपति द्राैपदी मुर्मु उत्तराखंड राज्य की स्थापना की रजत जयंती के अवसर आयाेजित विधानसभा के विशेष सत्र को संबोधित कर रही थीें। उन्हाेंने कहा कि उत्तराखंड की देव-भूमि से अध्यात्म और शौर्य की परम्पराएं प्रवाहित होती रही हैं। भारत का यह पवित्र भूखंड अनेक ऋषि-मुनियों की तपस्थली भी रहा है। कुमाऊं व गढ़वाल रेजिमेंट के नाम से ही यहां की शौर्य परंपरा का परिचय मिलता है। राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि उत्तराखंड के युवाओं में भारतीय सेना में सेवा करके मातृ-भूमि की रक्षा करने के प्रति उत्साह दिखाई देता है। उत्तराखंड की यह शौर्य परंपरा सभी देशवासियों के लिए गर्व की बात है। भारत की लोकतान्त्रिक परंपरा को शक्ति प्रदान करने में उत्तराखंड के अनेक जन-सेवकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान यहां के जनमानस की आकांक्षा के अनुरूप, बेहतर प्रशासन और संतुलित विकास की दृष्टि से राज्य की स्थापना की गई और यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि विगत पचीस 25 वर्षों की यात्रा के दौरान उत्तराखंड के लोगों ने विकास के प्रभावशाली लक्ष्य हासिल किए हैं। पर्यावरण, ऊर्जा, पर्यटन, स्वास्थ्य-सेवा और शिक्षा के क्षेत्रों में राज्य ने सराहनीय प्रगति की है। राज्य में साक्षरता बढ़ी है, महिलाओं की शिक्षा में विस्तार हुआ है, मातृ एवं शिशु-मृत्यु-दर में कमी आई है, स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में महिला सशक्तीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की उन्होंने विशेष सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में सुशीला बलूनी, बछेन्द्री पाल, गौरा देवी, राधा भट्ट और वंदना कटारिया जैसी असाधारण महिलाओं की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़ेगी। उन्हाेंने कहा कि ऋतु खंडूरी भूषण को राज्य की पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त करके उत्तराखंड विधानसभा ने अपना गौरव बढ़ाया है। उत्तराखंड विधानसभा में महिलाओं की संख्या में बढ़ोतरी के प्रयास हाेने चाहिए। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता समेत उत्तराखंड विधानसभा में पांच सौ पचास से अधिक विधेयक पारित किए गए हैं। उन विधेयकों में उत्तराखंड लोकायुक्त विधेयक, उत्तराखंड जमीन्दारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था विधेयकव नकल विरोधी विधेयक शामिल हैं। पारदर्शिता, नैतिकता और सामाजिक न्याय से प्रेरित ऐसे विधेयकों को पारित करने के लिए उन्होंने सभी विधायकों की सराहना की।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि विधानसभाएं हमारी संसदीय प्रणाली का प्रमुख स्तम्भ हैं। बाबासाहब आंबेडकर ने कहा था कि संविधान निर्माताओं ने संसदीय प्रणाली को अपनाकर निरंतर उत्तरदायित्व को अधिक महत्व दिया था।विधायक, जनता और शासन के बीच की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि एक विधायक के रूप में मुझे नौ वर्ष जन-सेवा का अवसर मिला था। अनुभव के आधार पर कह सकती हूं कि यदि विधायक सेवा-भाव से निरंतर जनता की समस्याओं के समाधान व उनके कल्याण में सक्रिय रहेंगे तो जनता और जन-प्रतिनिधि के बीच विश्वास का बंधन अटूट बना रहेगा।

उन्होंने कहा कि विकास व जन-कल्याण के कार्यों को पूरी निष्ठा के साथ आगे बढ़ाएं। ऐसे कार्य दलगत राजनीति से ऊपर होते हैं। समाज के वंचित वर्गों के कल्याण व विकास पर विशेष संवेदनशीलता के साथ कार्य करें। साथ ही, युवा पीढ़ी को विकास के अवसर प्रदान करना प्राथमिकता होनी चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि उत्तराखंड में अनुपम प्राकृतिक संपदा और सौन्दर्य विद्यमान हैं। प्रकृति के इन उपहारों का संरक्षण करते हुए ही, विकास के मार्ग पर राज्य को आगे ले जाना है। उत्तराखंड की पच्चीस वर्ष की विकास-यात्रा, विधायकों के योगदान से ही संभव हो पाई है। उन्होंने अपेक्षा की कि जन-आकांक्षाओं सब सक्रिय अभिव्यक्ति देते रहेंगे। ‘राष्ट्र सर्वोपरि’ की भावना के साथ सब राज्य को व देश को विकास-पथ पर तेजी से आगे ले जाएंगे।

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