नई दिल्ली- 25 अक्टूबर । प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत मिशन की शुरुआत सोमवार से हुई। इस योजना के तहत हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर में सबसे कमजोर 10 राज्यों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा देश के 602 जिलों में क्रिटिकल केयर सुविधाएं भी शुरू की जाएंगी। प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत मिशन की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी 2021 को बजट पेश करते हुये की थी। इसके तहत देश में हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार 2025-26 तक 64,180 करोड़ रुपये के माध्यम से हेल्थ केयर इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए जाएंगे। इसके तहत 10 राज्यों में 17,788 ग्रामीण स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों के लिए सहायता दी जाएगी। सभी राज्यों में 11,024 शहरी स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों की स्थापना की जाएगी।
इसके अतिरिक्त देश के सभी जिलों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं और विशेष फोकस वाले 11 राज्यों के 3382 ब्लॉक में सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना की जाएगी। देश के 602 जिलों और 12 केंद्रीय संस्थानों में क्रिटिकल केयर अस्पतालों में ब्लॉक की स्थापना के साथ राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) की 5 क्षेत्रीय शाखाओं और 20 महानगरीय स्वास्थ्य निगरानी इकाइयों को मजबूत किया जाएगा। वहीं, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं को जोड़ने के लिए सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में एकीकृत स्वास्थ्य सूचना पोर्टल का विस्तार करने के साथ 17 नई सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को शुरू किया जाएगा। 32 हवाई अड्डों, 11 बंदरगाहों और 7 लैंडक्रॉसिंग पर स्थित 33 मौजूदा सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत किया जाएगा।
इस मिशन के तहत 15 हेल्थ इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर और 2 मोबाइल अस्पतालों की स्थापना की जाएगी। वन हेल्थ के लिए एक राष्ट्रीय संस्थान की स्थापना, डब्ल्यूएचओ के दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के लिए एक क्षेत्रीय अनुसंधान प्लेटफॉर्म, जैव-सुरक्षा स्तर-3 की प्रयोगशालाएं और 4 क्षेत्रीय राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान की स्थापना की जाएगी।
मिशन का उद्देश्य ब्लॉक, जिला, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर आईटी आधारित रोग निगरानी प्रणाली विकसित करना है। जिसके तहत इन क्षेत्रों की प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क विकसित करना है। इसके लिए स्वास्थ्य इकाइयों को मजबूत करके, बीमारी का प्रभावी ढंग से पता लगाने, जांच करने, रोग के प्रसार को रोकने और मुकाबला करने के लिए तैयार करना है। साथ ही इसके जरिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी), 2017 की सिफारिशों के अनुसार समयबद्ध तरीके से 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.15 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।
