भारत

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकेगा मध्य प्रदेश के पन्ना का डायमंड, मिला जीआई टैग

भोपाल- 15 नवम्बर। सदियों से अपनी रत्नगर्भा धरती के लिए मशहूर मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के हीरो की चमक अब वैश्विक मंच पर और अधिक तेज होने जा रही है। पन्ना के प्राकृतिक हीरो को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) टैग मिल गया है। कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट, डिजाइन एंड ट्रेडमार्क, चेन्नई द्वारा भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) प्रदान किए जाने की आधिकारिक घोषणा की है। इस मान्यता के साथ पन्ना डायमंड प्रदेश का 21वां जीआई टैग प्राप्त उत्पाद बन गया है। इससे पन्ना के हीरे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमाणित और विशिष्ट ब्रांड के रूप में स्थापित होंगे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस उलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए प्रदेशवासियों की बधाई दी है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शनिवार को सोशल मीडिया एक्स पर कहा कि हीरा नगरी ‘पन्ना जिले’ के हीरे को भारत सरकार द्वारा जीआई (ज्योग्रोफिकल इंडिकेशन) टैग मिलना सम्पूर्ण मध्य प्रदेश के लिए गौरव का विषय है। इससे पन्ना डायमंड अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकेगा और पन्ना के युवाओं तथा कारीगरों को स्थानीय स्तर पर नए अवसर मिलेंगे। पन्ना जिले के हीरे सर्टिफाइड और प्रीमियम प्राकृतिक उत्पाद के रूप में विश्व बाजार में उपलब्ध होंगे और पन्ना के इन प्राकृतिक हीरों को ही पन्ना डायमंड के नाम से बेचा जा सकेगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई ऊर्जा मिलेगी।

जीआई टैग का मतलब यह है कि किसी खास उत्पाद को उस जगह से जोड़ा जाता है, जहां वह बनता है। जब किसी उत्पाद को जीआई टैग मिलता है, तो वह उस जगह की खासियत और गुणवत्ता को दिखाता है। पन्ना के हीरे को यह टैग मिलने से यह साफ हो गया है कि इन हीरों की गुणवत्ता और खासियत बेहद खास है। अब यह टैग पन्ना की पहचान को और भी मजबूत करेगा।

पन्ना के हीरा अधिकारी रवि पटेल ने बताया कि जीआई टैग मिलने से पन्ना के हीरो की विश्व स्तर पर कीमत, विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। जीआई टैग किसी विशेष उत्पाद को उसके मूल भौगोलिक क्षेत्र से जोड़ने वाला आधिकारिक संकेत है, जो उसकी गुणवत्ता और विशिष्टता को प्रमाणित करता है।

उन्होंने बताया कि पन्ना की खदानों से तीन श्रेणी के हीरे निकलते हैं, जैम क्वालिटी का सफेद हीरा, ऑफ कलर यानी हल्का मैला रंग, इंडस्ट्रियल क्वालिटी का कोका-कोला रंग हीरा। इन हीरों का मूल्यांकन और कीमत तय करना हीरा कार्यालय के विशेषज्ञ पारखियों द्वारा चमक, संरचना और गुणवत्ता के आधार पर किया जाता है। जीआई टैग मिलने के बाद इन श्रेणियों की प्रामाणिकता को वैश्विक स्तर पर कानूनी मान्यता भी मिलेगी। जीआई टैग से पन्ना के हीरों की पहचान अंतरराष्ट्रीय बाजार में मजबूत होगी। इससे विदेशी व्यापार में वृद्धि, रोजगार के नए अवसर और जिले की अर्थव्यवस्था में मजबूती आएगी। प्रदेश के खनिज संसाधनों को भी वैश्विक मंच पर विशेष पहचान मिलेगी।

इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के पीछे जिला प्रशासन और तकनीकी संस्थाओं की संयुक्त पहल रही। ह्यूमन वेलफेयर सोसाइटी, वाराणसी ने आवेदन प्रक्रिया, दस्तावेजीकरण और तकनीकी सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तत्कालीन कलेक्टर द्वारा वर्ष 2023 में आवेदन किया गया था। 7 जून 2023 को जीआई टैग के लिए आवेदन को मंजूरी मिली। यह पूरी प्रक्रिया लगातार प्रयासों, परीक्षण और दस्तावेज़ सत्यापन के बाद पूर्ण हुई। जीआई टैग मिलने के बाद पन्ना के हीरों की बौद्धिक संपदा सुरक्षित हो गई है। अब यह ब्रांड वैश्विक स्तर पर औपचारिक रूप से पहचाना जाएगा, जिससे हीरा व्यापार में पारदर्शिता बढ़ेगी। नकली हीरो पर अंकुश लगेगा। विदेशी निवेश के अवसर बढ़ेंगे। स्थानीय खनन उद्योग और उससे जुड़े श्रमिकों को आर्थिक लाभ होगा। उम्‍मीद है कि पन्ना के हीरे अब वैश्विक बाजार में भारत की शान बनकर चमकेंगे।

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