
पाकिस्तानी सेना का आरोप, कहा- अफगान तालिबानी सरकार भारत के हाथों की कठपुतली
पेशावर- 10 अक्टूबर। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री की भारत यात्रा एवं दोनों देशों में संबंधों में प्रगति के बीच पाकिस्तानी सेना ने शुक्रवार को अफगान तालिबानी सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणियां कीं और आरोप लगाया कि उसकी शह पर पठान नेताओं ने भारत के हाथों कठपुतली बनकर पाकिस्तान में आतंकवाद फैलाया है। इस बीच उसने दाेहराया कि दहशतगर्दों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई जारी रहेगी।
पाकिस्तानी सेना के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने शुक्रवार को पेशावर कोर मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन में इस आशय का आराेप लगाया। लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने कहा कि आतंकवादियों और उनके मददगारों को एक सुनियोजित योजना के तहत खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में “जानबूझकर जगह प्रदान की गई”, जिससे प्रांत में आतंकवाद फिर से उभर आया। उन्होंने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा में बिगड़ती सुरक्षा स्थिति के लिए एक “राजनीतिक-आपराधिक गठजोड़” जिम्मेदार है।
सैन्य प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि भारत ही पाकिस्तान में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अफगान क्षेत्र का दोहन कर रहा है। उन्होंने कहा, “सबूत स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि अफगानिस्तान को पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए अभियान के आधार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
पाकिस्तान में बढ़ती दहशतगर्दी के लिए उन्होंने सरकार की नाकामियों को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि सरकार की कमियों को “सुरक्षाकर्मियों के खून से भरा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद के बने रहने के पीछे पांच प्रमुख कारण हैं : राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) का अधूरा कार्यान्वयन, आतंकवाद का राजनीतिकरण, पाकिस्तान विरोधी अभियानों के लिए अफगानिस्तान को एक आधार के रूप में भारत का इस्तेमाल, अफगानिस्तान में आतंकवादियों के लिए आधुनिक हथियारों एवं सुरक्षित पनाहगाहों की उपलब्धता, और स्थानीय राजनीतिक तत्वों द्वारा समर्थित अपराध और आतंकवाद के बीच सांठगांठ।
उन्होंने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा में शासन के संकट ने समस्या को और गहरा कर दिया है। उन्होंने कहा, “खैबर पख्तूनख्वा के लोग इस गठजोड़ की कीमत अपने खून से चुका रहे हैं,” उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और उसके सुरक्षा संस्थान आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में दृढ़ हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी ने आतंकवादियों के साथ बातचीत के पक्ष में तर्कों की निंदा करते हुए पूछा, “क्या हमें उन लोगों से बात करनी चाहिए, जिन्होंने हमारे बच्चों को मार डाला और उनके सिर के साथ फुटबॉल खेला?” उन्होंने कहा कि अगर हर समस्या को बातचीत के जरिए हल किया जा सकता तो युद्ध कभी नहीं होते। उन्होंने कहा, “अगर हर चीज का समाधान बातचीत और बातचीत के माध्यम से होता तो दुनिया, यहां तक कि हमारे पैगंबर भी दो लड़ाइयां नहीं लड़ते, बद्र की लड़ाई और उहुद की लड़ाई इसके उदाहरण हैं।”
उन्होंने कहा कि “आतंकवादियों और उनके मददगारों का तुष्टिकरण कोई नीति नहीं है,” यह कहते हुए कि राज्य विदेशी समर्थित आतंकवादियों की सहायता करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेगा। उन्होंने चेतावनी दी, ‘आतंकवादियों को मदद देने वालों के पास तीन विकल्प हैं, उन्हें सरकार के हवाले कर दें, आतंकवाद विरोधी अभियानों में सुरक्षा बलों का समर्थन करें या खुद कार्रवाई के लिए तैयार रहें।