बिहार

बिहार में सड़कों और पुलों का जाल बीछाकर राजधानी को गांवों-कस्बों से जुड़ने का काम किया: नीतीश कुमार

पटना- 31 अक्टूबर। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है कि वर्ष 2005 से पहले का वो दिन आप सब को याद होगा जब जर्जर सड़कें बिहार की पहचान बन गईं थीं। राज्य के किसी भी हिस्से में आने-जाने में लोगों को सोचना पड़ता था। थोड़ी दूरी का सफर तय करने में भी लोगों को घंटों लग जाते थे। सड़कों पर हिचकोले खाती गाड़ियां और मन में भय लेकर लोग सफर करने को मजबूर थे। सड़क में गड्ढा था या गड्ढे में सड़क,यह तय कर पाना मुश्किल था। किसी गांव में यदि किसी व्यक्ति की तबीयत खराब हो जाती थी, तो इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचने से पहले कई लोग रास्ते में ही दम तोड़ देते थे। नदियों,नालों और नहरों पर पुल-पुलिया नहीं होने के कारण सीतामढ़ी,शिवहर जैसे राज्य के कई जिलों का संपर्क राजधानी पटना से टूट जाता था। नदी,नालों और नहरों पर पुल-पुलिया नहीं होने की वजह से गांवों-कस्बों के लोग पूरी बरसात में जल कैदी बन जाते थे। छात्र-छात्राएं बरसात के दिनों में महीनों तक स्कूल नहीं जा पाते थे। उस वक्त मैं तत्कालीन केंद्र सरकार में मंत्री था। जब भी बिहार आता था और अपने क्षेत्र में जनता से मिलने जाता था तो सड़कों के अभाव में कई किलोमीटर तक पैदल ही चलना पड़ता था। ऐसा भी सुनने में आता है कि पहले जिन लोगों के हाथ में राज्य की सत्ता थी, वे कहते थे कि राज्य में अच्छी सड़कें बन जाएंगी तो पुलिस जल्दी गांवों में पहुंच जाएगी और अपराधी पकड़े जाएंगे। इसका मतलब ये कि वे खुद भी अपराध को संरक्षण देते थे।

वर्ष 2005 से पहले राज्य में बहुत कम सड़कें थीं और जो सड़कें थीं उनका बुरा हाल था। सड़कों के मेंटेनेंस की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी। सड़कों के मेंटेनेंस के नाम पर खूब भ्रष्टाचार होता था। अलकतरा घोटाला भी उसी वक्त हुआ था। 2005 से पहले गंगा नदी पर मात्र 4 पुल, कोसी नदी पर 2 पुल, गंडक नदी पर 4 पुल, सोन नदी पर 2 पुल थे जो 1990 के काफी पहले बने थे। वर्ष 2005 से पहले पूरे राज्य में मात्र 11 रेल ओवरब्रिज (आर॰ओ॰बी॰) थे, जिसके चलते कई जगहों पर घंटों जाम की स्थिति होती थी।

राज्य की ग्रामीण बसावटों को बारहमासी संपर्कता प्रदान करने की कोई ठोस योजना नहीं थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना लागू की थी, जिसमें एक हजार या उससे अधिक आबादी वाली बसावटों को ही जोड़ने की योजना थी, लेकिन तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया। सड़कों के लिए भू-अर्जन नहीं किया गया, जिस कारण यह योजना भी आंशिक रूप से ही कार्यान्वित हो सकी।

24 नवंबर 2005 को राज्य में नई सरकार के गठन के बाद प्राथमिकता के आधार पर नई सड़कों का निर्माण कराया गया, पुरानी सड़कों का जीर्णोद्धार एवं चौड़ीकरण कराया गया तथा पुल एवं पुलियों का जाल बिछाया गया। बड़े पैमाने पर बने पथों के रख-रखाव के लिए एक विशिष्ट दीर्घकालीन अनुरक्षण नीति लागू की गई।

वर्ष 2005 में हमलोगों की सरकार बनने के बाद राज्य में लगभग 20 नए बड़े पुल बनाए गए। इसमें गंगा नदी पर भोजपुर में वीर कुंवर सिंह सेतु, पटना में जे॰पी॰ सेतु, मुंगेर में श्रीकृष्ण सिंह सेतु, पटना से राघोपुर दियारा को जोड़ने वाली कच्ची दरगाह-राघोपुर सिक्स लेन पुल, औंटा-सिमरियाधाम पुल के निर्माण के साथ ही बक्सर स्थित वीर कुंवर सिंह पुल पर अतिरिक्त 2 लेन का निर्माण कराया गया। गंगा नदी पर 10 नए पुलों का निर्माण कार्य जारी है। वहीं कोसी नदी पर कोसी महासेतु समेत 3 नए पुलों का निर्माण कराया गया है तथा 3 अतिरिक्त पुलों का निर्माण कार्य जारी है। गंडक नदी पर 4 नए पुल बनाए गए हैं तथा 3 नए पुलों का निर्माण कार्य जारी है। सोन नदी पर 4 नए पुल बनाए गए हैं तथा 2 नए पुलों का निर्माण कार्य जारी है। इस तरह से राज्य में अलग-अलग नदियों पर फिलहाल 18 नए पुलों का निर्माण कराया जा रहा है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

इसके अलावा राज्य की छोटी नदियों और नहरों पर पुल-पुलियों के निर्माण के लिए वर्ष 2007-08 में मुख्यमंत्री सेतु निर्माण योजना की शुरुआत की गई। इसके तहत अब तक 6 हजार से अधिक पुल-पुलियों का निर्माण कराया जा चुका है। इस योजना के तहत 2024 के बाद 649 नए पुल के निर्माण की स्वीकृत दी गई है। कई पुराने पुलों को 4 लेन से 6 लेन पुल में परिवर्तित किया जा रहा है। अब राज्य में रेल ओवरब्रिज की संख्या 11 से बढ़कर 87 हो गई है और 40 से अधिक नए रेल ओवरब्रिज बनाए जा रहे हैं।

राज्य में यातायात को सुगम बनाने के लिए कई बाईपास पथों का निर्माण कराया जा रहा है। साथ ही टोलों एवं बसावटों को संपर्कता प्रदान करने के लिए राज्य निधि से मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना लागू की गई है जिसके तहत 1,18,005 किलोमीटर लंबाई की सड़कों का निर्माण करा दिया गया है। बाकी बचे टोलों एवं बसावटों को जल्द से जल्द पक्की सड़क से जोड़ दिया जाएगा।

हमलोगों ने कई पथों एवं पुल-पुलियों का निर्माण कराकर वर्ष 2016 में राज्य के सुदूर क्षेत्रों से 6 घंटे में पटना पहुंचने के लक्ष्य को पूरा किया। इस लक्ष्य को पूरा कर 2018 में 5 घंटे में राज्य के किसी भी कोने से पटना पहुंचने का नया लक्ष्य निर्धारित किया गया। अब इसे भी पूरा कर लिया गया है तथा इसे और घटाने के लिए नए एक्सप्रेस-वे, नए पुल, बाईपास, एलिवेटेड रोड एवं आरओबी के निर्माण पर तेजी के काम किया जा रहा है।

हमारी सरकार ने जो आपके लिए काम किए हैं, उसे याद रखिए। आगे भी हमलोग ही काम करेंगे। हमलोग जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं।

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