बिहार

बिहार में ठोस नीति बनाकर बड़े पैमाने पर सरकारी नौकरी और रोजगार मुहैया करायी: नीतीश कुमार

पटना- 05 नवंबर। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है कि वर्ष 2005 से पहले के वो दिन आप सबको याद होंगे, जब बिहार में बेरोजगारी चरम पर थी। नौकरी और रोजगार के अभाव में राज्य के युवा जहां-तहां भटक रहे थे। युवा वर्ग के सामने नौकरी और रोजगार को लेकर अंधकार छाया हुआ था। तत्कालीन सरकार की युवाओं को नौकरी और रोजगार देने को लेकर नीति और नीयत दोनों ही स्पष्ट नहीं थी। उस वक्त किसी भी विभाग में कोई बहाली नहीं निकलती थी। कुछ पदों पर बहाली निकलती भी थी तो सत्ता पोषित लोग उसका सौदा करने में लग जाते थे। नौकरी के बदले जमीन लिखवा ली जाती थी। आलम ये था कि राज्य के युवा रोजगार की खोज में दर-दर भटकने और दूसरे राज्यों में पलायन को मजबूर थे। उस वक्त राज्य की शासन प्रणाली इतनी खराब हो चुकी थी कि बिहार के युवा जब दूसरे राज्यों में रोजगार के लिए जाते थे, तो उन्हें हेय दृष्टि से देखा जाता था, उन्हें कई तरह की यातनाएं झेलनी पड़ती थी। राज्य के बाहर युवाओं की बिहार और बिहारी के नाम पर खिल्ली उड़ायी जाती थी। राज्य के बाहर लोग अपनी पहचान छिपाने को विवश थे, क्योंकि उस वक्त बिहारी कहलाना अपमान का विषय बन गया था। कितने युवा नौकरी की आस में बैठे रह गये और उनकी नौकरी करने की उम्र निकल गई। आज कल फिर वही लोग सरकारी नौकरी और रोजगार देने के नाम पर राज्य के युवाओं को गुमराह कर रहे हैं और भ्रम फैला रहे हैं। आप सबको मैं बताना चाहता हूं कि ये लोग सिर्फ झूठ बोलते हैं, उनके पास युवाओं को नौकरी और रोजगार को लेकर न तो कोई नीति है और न ही कोई ठोस आधार है।

24 नवंबर 2005 को राज्य में जब नयी सरकार का गठन हुआ, तो हमलोगों ने युवाओं के लिए सरकारी नौकरी और रोजगार मुहैया कराने को लेकर एक ठोस नीति बनायी। इसके लिए सबसे पहले हमलोगों ने राज्य के अलग-अलग विभागों में खाली पड़े पदों पर बहाली का निर्णय लिया। वर्ष 2005 से 2020 के बीच राज्य में 8 लाख से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरी और लाखों लोगों को रोजगार दिया गया। राज्य में और ज्यादा युवाओं को नौकरी और रोजगार देने के लिए हमलोगों ने रोडमैप तैयार किया और वर्ष 2020 में सात निश्चय-2 के तहत 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी और 10 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। जब युवाओं को नौकरी और रोजगार के लिए चौतरफा काम शुरू हुआ, तो इसके सुखद परिणाम आने शुरू हो गये तथा आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इन पांच वर्षों (वर्ष 2020 से 2025) में 10 लाख के बजाय 40 लाख लोगों को रोजगार दिया जा चुका है, जबकि 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी भी दे दी गयी है। ऐसे में अब तक 50 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी एवं रोजगार दे दिया गया है।

अब हमलोगों ने अगले 5 वर्षों (वर्ष 2025-2030) में 1 करोड़ युवाओं को नौकरी एवं रोजगार देने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए विभिन्न विभागों में बड़ी संख्या में नए पद सृजित किये जाएंगे। युवाओं को रोजगार पाने योग्य बनाने हेतु विभिन्न तकनीकी संस्थानों में बड़े पैमाने पर कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण का इंतजाम किया गया है। राज्य में उद्योगों की स्थापना एवं निवेश की व्यवस्था कर रोजगार के अवसर पैदा किये जायेंगे। नई उद्योग नीति के तहत राज्य में उद्योग-धंधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसे लेकर विशेष औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन पैकेज की भी व्यवस्था की गयी है, ताकि प्रदेश में बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन हो सके। एन0डी0ए0 की डबल इंजन की सरकार की दुगुनी ताकत से राज्य में बड़े पैमाने पर उद्योग लगाये जायेंगे। उद्योगों की स्थापना के लिये हर जिले में जमीन अधिग्रहण कर लैंड बैंक बनाये जा रहे हैं, जिससे आसानी से जमीन उपलब्ध हो सकेगी। बिहार में अब उद्योगों की स्थापना के लिये सभी गुणवत्तापूर्ण आधारभूत संरचनायें जैसे- अच्छे सड़क मार्ग, रेलवे एवं हवाई मार्ग से अच्छी सम्पर्कता, निर्बाध विद्युत आपूर्ति एवं विधि व्यवस्था की स्थिति काफी बेहतर है। राज्य में कानून का राज स्थापित है। साथ ही हमलोग यह भी सुनिश्चित करेंगे कि राज्य के युवाओं को रोजगार के लिए किसी मजबूरी में राज्य से बाहर नहीं जाना पड़े।

संविदा पर कार्यरत कर्मियों को उच्चस्तरीय समिति की अनुशंसाओं के आलोक में पहले से ही 60 साल तक की उम्र का कार्यकाल, सरकारी नौकरी में कार्य अनुभव के आधार पर अधिमानता, मानदेय में नियमित वृद्धि की सुविधायें दी जा रही हैं। इन संविदाकर्मियों यथा- विकास मित्र, टोला सेवक, तालिमी मरकज, डाटा इन्ट्री ऑपरेटर एवं अन्य सभी के लिये क्षमतावर्द्धन की व्यवस्था कर उनके अनुभव के आधार पर उन्हें सरकारी कर्मी के अनुरूप सारी सुविधायें दी जायेगी।

बिहार के युवाओं को अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने, उन्हें प्रशिक्षित करने तथा सशक्त एवं सक्षम बनाने के उद्देश्य से बिहार युवा आयोग का गठन किया गया है। इसके साथ ही युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिये हमलोग राज्य में खेल को भी लगातार बढ़ावा दे रहे हैं तथा विभिन्न खेलों में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को ‘मेडल लाओ, नौकरी पाओ’ योजना के तहत 454 खिलाड़ियों को विभिन्न स्तर की सरकारी नौकरी दी जा चुकी है। हाल के दिनों में बिहार ने कई खेलों का सफल आयोजन भी कराया है। महिला हॉकी एषिया कप 2025, पुरूष हॉकी एषिया कप 2025, सेपक टाकरा विष्व कप 2025 तथा खेलो इंडिया यूथ गेम्स-2025 की सफल मेजबानी बिहार की खेल उपलब्धियों का प्रमाण है। खेल और खिलाड़ियों के विकास को प्राथमिकता देते हुए कई अच्छी योजनाएं चलायी जा रही हैं। इसी कड़ी में बिहार खेल छात्रवृति योजना की शुरुआत की गयी है, जिससे राज्य के 725 प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आर्थिक सहायता राशि दी गयी है। इसके तहत बुनियादी स्तर 500 खिलाड़ियों को प्रति वर्ष 3 लाख रुपये, विकासात्मक स्तर पर 200 खिलाड़ियों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये और विशिष्ट स्तर पर 25 खिलाड़ियों को प्रति वर्ष अधिकतम 20 लाख रुपये तक की छात्रवृति दी जा रही है। इससे खिलाड़ियों को प्रशिक्षण तथा खेल प्रतियोगिताओं के लिए वित्तीय सहायता मिल रही है। राज्य में खेल को बढ़ावा देने के लिए पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक खेल सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। इसके तहत राज्य के सभी पंचायतों में खेल के मैदान बनवाए जा रहे हैं। इसका मूल मकसद ग्रामीण प्रतिभाओं को मंच देना और ग्रामीण क्षेत्रों में खेल संस्कृति को बढ़ावा देना है। राज्य में अब तक 3,000 से अधिक पंचायतों में खेल मैदान बन चुके हैं।

इस प्रकार से राज्य में अधिक से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी और रोजगार के लिए हमलोगों ने जो काम किए हैं, उसे आपलोग याद रखिएगा। झूठे, भ्रामक एवं काल्पनिक वादे कर लोगों को गुमराह करने वालों के झांसे में न आयें। आगे भी हमलोग ही राज्य के युवाओं को नौकरी और रोजगार देंगे क्योंकि,हमलोग जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं।

Join WhatsApp Channel Join Now
Subscribe and Follow on YouTube Subscribe
Follow on Facebook Follow
Follow on Instagram Follow
Follow on X-twitter Follow
Follow on Pinterest Follow
Download from Google Play Store Download

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button