
NEPAL:- प्रधानमंत्री प्रचंड की दौड़धूप बेकार, नहीं माने विपक्षी दल
काठमांडू- 27 मई। नेपाल में चल रहे राजनीतिक गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रयासरत प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल ‘प्रचंड’ को आज भी निराशा हाथ लगी। विपक्षी दल और सत्ताधारी दलों के बीच सहमति नहीं हो पाने के कारण संसद में बिना किसी गतिरोध के बजट पेश करने का प्रयास विफल होता नजर आ रहा है।
प्रधानमंत्री प्रचंड ने आज सत्ताधारी दल और विपक्षी दलों के साथ अलग-अलग और एक साथ बैठक कर सहमति जुटाने का प्रयास किया, लेकिन सहकारी घोटाले पर बनने वाली संसदीय जांच समिति के कार्यादेश को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। विपक्षी दलों का कहना है यदि कार्यादेश में गृहमंत्री रवि लामिछाने का नाम नहीं लिखा जाता है तो कम से कम उस मीडिया हाउस का नाम लिखा जाना चाहिए, जिसमें सहकारी से पैसे लेकर निवेश किया गया है।
प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार बताते हैं कि विपक्षी दलों की इस मांग पर खुद प्रधानमंत्री सकारात्मक हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी और नेकपा एमाले विरोध में हैं। स्वतंत्र पार्टी से संसदीय जांच समिति के कार्यादेश बनाने वाली समिति में रहे शिशिर खनाल ने कहा कि रवि लामिछाने का नाम लिखना या उनके द्वारा संचालित गोरखा मीडिया का नाम लिखना दोनों एक ही बात है। अगर ऐसा होता है तो इस पर सहमति होने का सवाल ही नहीं उठता है।
उधर सत्ताधारी एमाले पार्टी के अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने कहा कि विपक्षी दलों की नाजायज मा़ग पर सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने नेपाली कांग्रेस पर राजनीतिक चरित्र नहीं दिखाने और लोकतांत्रिक अभ्यास के विपरीत व्यवहार करने का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री के करीबी लोगों का कहना है कि विपक्षी दल और सत्तापक्ष के जाल में प्रधानमंत्री इस कदर उलझ गए हैं कि वो चाह कर भी सहमति नहीं करवा पा रहे हैं। इनका विश्लेषण है कि विपक्षी की मांग पर ओके बोल चुके प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार गिरने के डर से सत्तापक्ष की नाजायज बातों को मानना पड़ रहा है।