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MADHUBANI:- रहिका में सेविका सहायिका का प्रदर्शन, कहा- आजाद मुल्क में सेविका-सहायिकाओं की हालत गुलाम से भी बदतर

मधुबनी- 10 फरवरी। समेकित बाल विकास सेवा परियोजना कार्यक्रम अंतर्गत कार्यरत आंगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं ने बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वधान में रहिका परियोजना कार्यालय पर प्रदर्षन किया। तथा सरकार से विभिन्ना मांगों लेकर अपना मांग पत्र प्रतिनियुक्त अधिकारी को सौपा। प्रदर्शनकारी सेविका एवं सहायिका का नेतृत्व संघ की अध्यक्ष मीना कुमारी,सचिव चन्दा मिश्रा एवं कोषाध्यक्ष हुमा खातुन,कुमारी लाल दाई ने किया। प्रदर्शनकारियों को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि हम सेविका एवं सहायिका समाज में गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी गुजर बसर करने वाले परिवार बच्चों को प्राथमिक शिक्षा से पूर्व की शिक्षा देने और उसे कुपोषण से मुक्ति दिलाने के कार्य में लगी है। इनके क का समय मात्र चार घंटा निर्धारित है। परंतु केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित विभिन्न तरह के कार्यों में लगाया जाता है, जो आठ घंटे में भी पूरा नहीं होता है। टीकाकरण पल्स पोलियो, विटामिन-ए, मलेरिया,फाइलेरिया परिवार नियोजन,रोग से ग्रसित लोगों को बार-बार चिकित्सा लाभ मुहैया कराना,स्वास्थ्य बीमा,जनगणना,विधवा पेंशन, चुनाव कार्य,शौचालय कार्य निर्माण, कन्या सुरक्षा योजना, जन्म मृत्यु दर जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र सभी प्रकार के सर्वेक्षण कार्य,प्राथमिक विद्यालय में नामांकन बढ़ाने का कार्य,समाज में जागरूकता पैदा करने तक का कार्य लिया जाता है।

सरकार द्वारा सभी योजनाओं को घर घर तक पहुंचाने के कार्य में सेविका एवं सहायिकाओं को ही लगाया जाता है। अब तो सभी काम डिजिटत करना पड़ रहा है। फिर भी ममतामई महिलाएं कर्मी महज मानदेय पर ही कार्य कारने को मजबूर हैं। इन्हें न्यूनतम मजदूरी अधिनियम के अंतर्गत खेत मजदूरों या मनरेगा के मजदूरों की मिलने वाले मजदूरी के समान भी मानदेय राशि नहीं दिया जाता है। जो भारतीय संविधान सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन एवं मानवाधिकार का खुलम खुला उल्लंघन है। अत्यंत खेद जनक पहल तो यह है कि देश की अधिकांश राज्य सरकारें आंगनबाड़ी सेविका एवं सहायिकाओं को केंद्र सरकार द्वारा देय मानदेय के अलावे अपने स्तर से एक जीवनों उपयोगी अच्छा खासा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देती है। जबकि बिहार सरकार के द्वारा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि ऊंट के मुंह में जीरा के फॉरन जैसा है। समान काम के बदले समान वेतन मिलना चाहिए। परंतू अन्यत्र कार्य आदि आदेश पत्र के डरा धमकाकर यहां तक की चयन रद्द करने की धमकी देकर कराया जाता है। यहां तो पदाधिकारियों द्वारा मुख्य सचिव (बिहार सरकार) के आदेश का भी अनुपालन नहीं किया जाता है। तथा अमानवीय ढंग से उनसे काम लिया जाता है। डर से आधे लोग को दिल की बीमारी हो गई है और सैकड़ों लोग काल कवलित हो गए हैं।

आगनबाड़ी सेविका सहायिकाओं की हालत आजाद मुल्क में गुलाम से भी बदतर बंधुआ मजदूर जैसा है। वक्ताओं ने आगे कहा कि मिनी आगनबाड़ी सेविकाओं का काम दोगुना और मानदेय आधा उन्हें सहायिकाओं का भी काम करना पड़ता है। आंगनवाड़ी सेविका से महिला पर्यवेक्षिका की बहाली में 50 प्रतिषत प्रमोशन को 4 वर्ष से रोक कर टालमटोल करले की साजिष की जा रही है। सेविका के 45 वर्ष से उम्र सीमा के बंधेज को समाप्त किया जाए। तथा अलग से 50 प्रतिषत सीधी भर्ती का प्रयास किया जाना सरकार की आगनबाडी सेविकाओं के प्रति उपेक्षा पूर्ण नीति को दर्शाता है, जो अत्यंत खेद जनक है। गोवा सरकार की भांति 15000 सेविका एवं 7500 सहायिकाओं को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि के साथ-साथ निस्रवत मांगों को शीघ्र पूरा करने की मांग करते हैं। अगर हम सभो की मांग सरकार पुरा नही करती है, तो इसके खिलाफ 28 फरवरी को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन एवं 20 मार्च को बिहार विधानसभा का घेराव करेंगे। सथा ही बिहार राज्य आंगनबाड़ी संयुका संघर्ष समिति चरणबद्ध आन्दोलन को मजबुर होगी। मौके पर सेविका राजिया नासरीन,तलअत महजवी,शाहिदा प्रवीण,ममता कुमारी,मेहरून निशा तबस्सुम,आलम आरा बेगम,जमाल नासरा,रजनी देवी,पुनम देवी सहित भारी संख्या में सेविका एवं सहायिका मौजुद थी।

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