
MADHUBANI:- विश्व प्रसिद्ध सौराठ सभा का आगाज़ आज से, 08 जूलाई को होगा समापन
मधुबनी-30 जून। विश्व प्रसिद्ध सौराठ सभा आज से आरंभ होगी। जिसकी तैयारी बुधवार को ही कर ली गई। सौराठ सभा 30 जून से आरंभ होकर 8 जूलाई को समापन होगा। बारिश के कारण सभागाछी परिसर में कुछ जगहों पर जल जमाव भी हो गया है। इसके बावजूद आज रामचरित मानस पाठ के साथ सभा का शुभारंभ किया जाएगा। मालूम हो की तकरीबन सात सौ साल से अधिक वर्षो से चलता आ रहा है। इसका इतिहास काफी पुराना है। यह मधुबनी जिला मुख्यालय से महज आठ किलोमीटर की दूरी पर रहिका प्रखंड क्षेत्र के सौराठ गांव में विशाल बटवृक्ष की गाछी में अवस्थित है। जहां विगत सात सौ सालों से ब्राह्मण अभिभावक अपनी पुत्री के लिए योग वर की खोज में आते है। जिसे पूरा विश्व सौराठ सभागाछी के नाम से जानते हैं।
यहां मिथिलांचल के सैंकड़ों गांव के युवक शादी के योग्य है, वे अपने पिता व अन्य लोग के साथ यहां आते है। उक्त बाते पंजीकार विश्वमोहन मिश्र ने कही। साथ ही उन्होंने कहा कि मिथिला में,मिथिलाक एक राजा हरि सिंह देव के प्रयास से यह सभा आरंभ व प्रसिद्ध हुआ। जो वर्तमान समय में स्वर्णिम इतिहासक रूपमें विश्व-विख्यात है। सभा के दौरान यहां लाखों की संख्या में मैथिल ब्राह्मण जुटते थे। परंतू जैसे-जैसे समय बदलता गया,वैसे-वैसे इस सभागाछी से ब्राह्मण समाज का मुहं भंग होता गया। बताते चलें कि शादी के लिए आए युवक पारंपरिक परिधान धोती,कुर्ता,दुपट्टा,पाग के सुसज्जित होकर यहां शादी के लिए आते थे।
इसके इतिहास के बारे में सौराठ सभा समिति के सचिव डा. शेखर चन्द्र मिश्र ने बताया कि राजा हरिसिंह देव लगभग 700 साल पूर्व 1310 ई में इसको आरंभ किया। साथ ही उन्होंने बताया कि आरंभ के समय में सभा का आयोजन मिथिला के कई जगह पर होता था। सौराठ के अतिरिक्त सीतामढ़ी के ससौला,दरभंगा के सझुआर सहित अन्य जगहों पर लगता था। सौराठ-सभा मिथिलाक सांस्कृतिक की विशेष महोत्सव में से एक है। ऐसी मान्यता है की यहां से शादी किए गए युवक व युवती का जीवन सुखमय बिता है। लेकिन वर्तमान में यहां पहले जैसी भीड़ देखने को नहीं मिलती है। विभिन्न संगठन की ओर से इसे अपने पुराने गौरव में लौटने के लिए प्रयत्न किया जा रहा है। सौराठ सभा अपनी प्राचीन सांस्कृतिक गरिमा को बहाल रखते हुए 30 जून को सुबह 9 बजे से राम चरित मानस पाठ के साथ सभा का आरंभ किया जाएगा, जो 8 जुलाई तक जारी रहेगा।