बिहार

त्योहारों की तरह लोकतंत्र के पर्व को उत्सव की तरह मनाएं, एक चरण में चुनाव कराने पर आयोग जल्द लेगा निर्णय: मुख्य चुनाव आयुक्त

पटना- 05 अक्टूबर। बिहार की राजधानी पटना में रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में निर्वाचन आयोग के दल ने विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों, पुलिस विभाग और केंद्रीय बलों के नोडल अधिकारियों के साथ बैठक की। अपने दो दिवसीय बिहार दौरे के दूसरे दिन मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने प्रेस वार्ता भी की और चुनाव से पहले अब तक की कार्रवाईयों का निचोड़ बताया। ज्ञानेश कुमार ने पत्रकार वार्ता में कहा कि जैसे हम त्योहारों को मनाते हैं, उसी तरह लोकतंत्र के पर्व को उत्सव के साथ मनाएं। उन्होंने लोगों से बढ़-चढ़कर मतदान में भाग लेने का अह्वान किया। उन्होंने कहा कि जहां तक राज्य की सभी 243 सीटों पर एक चरण में कराने की बात है, उसपर चुनाव आयोग जल्द निर्णय लेगा।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि बिहार के 9,0217 बूथ लेवल अधिकारी (बीएलओ) ने ऐसा काम किया, जो पूरे देश के लिए अनुकरणीय है। विश्व को वैशाली ने ही गणतंत्र का रास्ता दिखाया था। वैसे ही बूथ लेवल अधिकारी लोकतंत्र का रास्ता दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में 243 विधानसभा सीट हैं। विधानसभा की काल अवधि 22 नवम्बर 2025 को समाप्त हो रही है। इससे पहले ही चुनाव संपन्न होंगे। चुनाव आयोग के अधिकारी सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर चुके हैं। इसके अलावा सभी जिम्मेदार अधिकारियों के साथ भी बैठक हुई है।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि हर जगह पर 100 प्रतिशत वेब कास्टिंग होगी। 100 मीटर की दूरी पर हर उम्मीदवार अपना बूथ लगा सकते हैं। चुनाव आयोग 17 नए प्रयोग बिहार विधानसभा चुनाव में करने जा रही है। आगे यह पूरे देश में लागू होगा। मतदाता पहचान पत्र में वोटर आईडी नंबर बड़ा होगा। ईवीएम की काउंटिंग में कोई भी गलती होगी, तो सभी वीवीपैट की गिनती होगी। इसके अलावा बैलेट वोट की भी गिनती अनिवार्य होगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि प्रत्येक चुनाव से पहले मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण आवश्यक है और चुनाव के बाद इसकी समीक्षा करना कानून के अनुरूप नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची बनाने की जिम्मेदारी निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) की होती है। बिहार के 243 ईआरओ ने मिलकर मतदाता शुद्धिकरण का काम किया। अगर किसी का नाम मतदाता सूची में नहीं आ पाया, तो इसके लिए जिलाधिकारी (डीएम) से अपील की जा सकती है।

ज्ञानेश कुमार ने कहा कि हर मतदान केंद्र पर मतदान होने से पहले मॉक पोल होता है। इसमें प्रत्याशियों के सामने ईवीएम में पोलिंग होती है और वीवीपैट से इसका मिलान होता है। इसके बाद फॉर्म 17 भरा जाता है। उन्होंने सभी पार्टियों से अपने एजेंट जरूर नामित करने के लिए कहा।

उन्होंने कहा कि खर्च की सीमा चुनाव आयोग की ओर से जारी तय की गयी है। हर जिले में एक खर्च अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। आपराधिक रिकॉर्ड को लेकर भी हर प्रत्याशी को प्रक्रिया का पालन करना होगा। मतदाता पहचान पत्र में गलती पर उन्होंने कहा जिन लोगों की वोटर आईडी कार्ड की एंट्री में बदलाव होगा। उन लोगों को सूची फाइनल होने के 15 दिन के भीतर नए वोटर कार्ड भिजवा दिया जाएगा।

मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में आधार न लेने पर उन्होंने कहा कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं होता है। उच्चतम न्यायालय के कई आदेशों के तहत आधार जन्म का प्रमाण नहीं है। आधार एक्ट के तहत भी आधार न तो नागरिकता, जन्मतिथि और निवास का ही प्रमाण है। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद हम इसे स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन न्यायालय ने भी कहा है कि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है। मतदान की पहली शर्त है कि वह भारत का नागरिक हो और उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो और बूथ के आसपास रहता हो। हालांकि आधार पहचान के लिए लिया जा सकता है।

एक सवाल के जवाब में ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जो मतदाता अपात्र हैं, उनके नाम काटे गए हैं। अगर किसी को आपत्ति है, तो वह अभी भी जिला अधिकारी के पास आवेदन कर सकता है। जहां तक संख्या की बात है हर ईआरओ ने कटे हुए नामों की संख्या हर राजनीतिक दलों को दे दी है। दल अपने बीएलए जरूर नियुक्त करें।

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