J.N.B आदर्श संस्कृत महाविद्यालय लगमा में “स्वातंत्र्योत्तरकाले मिथिला संस्कृत सांस्कृतिक विकास” पर सेमिनार आयोजित, कई दिग्गज शिक्षाविद हुए शामिल

मधुबनी(बिहार)- 03 अप्रैल। जेएनबी आदर्श संस्कृत महाविद्यालय लगमा में अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार आयोजित की गई। एक दिवसीय आनलाइन व आफलाईन सेमिनार में देश विदेश के नामचीन विद्वान ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रदत्त बैषयिक सम्भाषण ” स्वातंत्र्योत्तरकाले मिथिला संस्कृत सांस्कृतिक विकासः” पर वक्तव्य उद्भोदन सम्पन्न हुआ। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सदानन्द झा के संयोजन में दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम प्रारम्भ हुई।

प्राचार्य डॉ. सदानन्द झा ने कहा कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति श्रीनिवास वाडखेरे के निर्देश पर अन्तरराष्ट्रीय ओजस्वी सेमिनार यहां आयोजित हुई। प्राचार्य ने कहा कि संस्कृत भाषा साहित्य के संरक्षण-संवर्धन के लिए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय कृतसंकल्पित है। डॉ. इन्द्रनाथ झा की अध्यक्षता में निर्धारित समय पर कार्यक्रम प्रारम्भ हुई।मैथिली प्राध्यापक सोनी कुमारी के निर्देशन में छात्राओं ने सुन्दर मंगलगान प्रस्तुत की। पीठाधीश्वर ब्रह्मचारी कृष्ण मोहन दास के संरक्षण में कार्यक्रम आयोजित हुई। आश्रम के ब्रह्मचारी ने कार्यक्रम में भाग ले रहे विद्वतजनों को साधुवाद दिया। इस अवसर कासिद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. शशिनाथ नाथ झा ने कहा कि भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की रक्षार्थ संस्कृत भाषा साहित्य का अपूरणीय योगदान रहा है। भारत की राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न पर उल्लेखनीय लिखित श्लोक”सत्य मेव जयते” इसका प्रबल प्रमाण है। अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार में वियतनाम के विद्वान भाई हा,नेपाल के डाॅ. गीता शुक्ला,डॉ. राधा गोविन्द त्रिपाठी,डॉ. विजय कुमार कर्ण,प्रो. के.एस सुमन,सृष्टि नारायण झा,प्रो. राजा पुरूषोत्तम सिंह,डॉ. राम सागर मिश्र,प्रो.सुन्दर नारायण झा ने सारगर्भित आलेख प्रस्तुत किया। अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार में संस्कृत भाषा साहित्य से परम्परागत सांस्कृतिक धरोहर की रक्षार्थ केन्द्र सरकार की अप्रतिम योगदान व सर्वांगीण विकास में सहभागिता पर वृहत चर्चा हुई। डॉ. राघव कुमार झा ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार की आयोजन से महाविद्यालय परिवार गौरवान्वित है। कार्यक्रम में डॉ. संगीत कुमार झा,मैथिली प्राध्यापक सोनी कुमारी,रूपेश कुमार झा, डॉ. सुशील चौधरी,डॉ. नागेन्द्र झा सहित छात्र- छात्राओं ने भाग लिया।

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Author: lakshyatak

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