
हमास ने नवंबर 2023 में ही कर दी थी नेपाली नागरिक विपीन जोशी की हत्या, पोस्टमार्टम में हुआ खुलासा
काठमांडू- 14 अक्टूबर। हमास द्वारा इजराइल को सौंपे गए नेपाली नागरिक विपीन जोशी के शव के पोस्टमार्टम के बाद यह खुलासा हुआ है कि अपहरण के एक महीने के बाद ही उनकी हत्या कर दी गई थी।
इजराइल की राजधानी तेल अवीव में सैन्य अस्पताल में किए गए पोस्टमार्टम में यह बात सामने आई है। इजराइल में रहे नेपाल के राजदूत धन बहादुर पंडित को इजराइली विदेश मंत्रालय की तरफ से यह जानकारी दी गई कि 7 अक्टूबर 2023 में उसके अपहरण के एक माह बाद ही विपीन जोशी की हत्या की जा चुकी थी।
इजराइल के सैन्य अधिकारियों के हवाले से नेपाली राजदूत पंडित ने बताया कि हत्या से पहले विपिन जोशी को काफी यातना दी गई थी, जिसके निशान उनके शरीर पर अभी भी मौजूद थे। हमास द्वारा सौंपे गए शव का डीएनए परीक्षण कर उसके विपीन जोशी होने की पुष्टि कर दी गई है।
पिछले दो वर्षों से फिलिस्तीनी समूह हमास द्वारा बंदी बनाए गए नेपाली छात्र बिपिन जोशी के शव को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, इज़राइल में नेपाली दूतावास के प्रतिनिधियों ने दिवंगत जोशी के पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरा होने के बाद शव को लेने के लिए मंगलवार को तेल अवीव में नेशनल सेंटर फॉर फॉरेंसिक मेडिसिन का दौरा किया।
मंत्रालय ने कहा कि शव को नेपाल वापस लाए जाने के बाद, संबंधित अधिकारियों और सरकारों के बीच समन्वय के साथ-उनकी मृत्यु के सटीक कारण और परिस्थितियों का निर्धारण करने, न्याय सुनिश्चित करने और उनके परिवार के लिए मुआवजे, बीमा और अन्य अधिकारों की सुविधा प्रदान करने के प्रयास जारी रहेंगे।
इससे पहले आज विदेश सचिव अमृत बहादुर राय ने इजरायल के विदेश मंत्रालय के महानिदेशक ईडन बार ताल के साथ फोन पर बातचीत की, जिन्होंने औपचारिक रूप से उन्हें जोशी की मौत के बारे में सूचित किया।
दो साल के संघर्ष के बाद इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम के बाद, हमास ने सोमवार को रेड क्रॉस के माध्यम से जोशी के शव को इज़राइल को सौंप दिया।
लर्न एंड अर्न कार्यक्रम के तहत इज़राइल पहुंचे नेपाली छात्र जोशी को 7 अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा बंधक बना लिया गया था। नेपाल सरकार उनके कब्जे के बाद से उनकी सुरक्षित रिहाई के लिए निरंतर प्रयास कर रही थी।
संघर्ष विराम के बाद, 13 अक्टूबर, 2025 को, इजरायली अधिकारियों ने जोशी के परिवार और नेपाली अधिकारियों को एक वर्चुअल बैठक में सूचित किया कि उनका नाम बंधकों को रिहा किए जाने की सूची में नहीं था और उनका पता अज्ञात था।
विदेश मंत्रालय ने उनकी मृत्यु की पुष्टि पर गहरा दुख व्यक्त किया और शोक संतप्त परिवार के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की।