GST में होंगे केवल दो कर स्लैब, रोजमर्रा के सामान होंगे सस्ते, 5 और 18 फीसदी को मंजूरी, 22 सितंबर से प्रभावी

नई दिल्‍ली- 03 सितंबर।जीएसटी परिषद ने बुधवार को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में व्यापक सुधारों के तहत पांच फीसदी और 18 फीसदी की दो-स्तरीय कर संरचना को अपनी मंजूरी दे दी है। इसमें रोजमर्रा के उपयोग वाले सामानों पर जीएसटी दरों में कटौती की गई है। नई व्यवस्था 22 सितंबर से लागू होगी।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक के बाद नई दिल्‍ली में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में इसकी जानकारी दी। सीतारमण ने कहा, “हमने जीएसटी स्लैब कम कर दिए हैं। उन्‍होंने बताया कि जीएसटी परिषद ने जीएसटी की दर में व्यापक बदलाव को मंजूरी दे दी है। चार की जगह दो कर स्लैब पांच फीसदी और 18 फीसदी किए गए हैं। उन्‍होंने आगे कहा, “ये सब 22 सितंबर 2025, नवरात्रि के पहले दिन से प्रभावी होगा।

उन्‍होंने फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि हम क्षतिपूर्ति उपकर के मुद्दों पर भी विचार कर रहे हैं।” जीएसटी परिषद की बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ” ये सुधार आम आदमी को ध्यान में रखकर किए गए हैं। उन्‍होंने बताया कि आम आदमी के दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगने वाले प्रत्‍येक कर की कड़ी समीक्षा इस बैठक में की गई है।

वित्‍त मंत्री ने कहा कि अधिकांश मामलों में जीएसटी की दरों में भारी कमी आई है जबकि श्रम प्रधान उद्योगों को अच्छा समर्थन दिया गया है। उन्‍होंने बताया कि किसानों और कृषि क्षेत्र के साथ-साथ स्वास्थ्य क्षेत्र को भी लाभ होगा। इसके साथ अर्थव्यवस्था के प्रमुख चालकों को प्रमुखता दी जाएगी।”

सीतारमण ने बताया कि रोजमर्रा के उपयोग वाले सामानों पर जीएसटी दरों में कटौती की गई है। उन्‍होंने कहा कि छोटी कारों, मोटरसाइकिल पर जीएसटी 28 फीसदी से 18 फीसदी लगेगा, सीमेंट पर जीएसटी 28 फीसदी की जगह अब 18 फीसदी लगेगा। उन्‍होंने कहा कि छेना, पनीर, रोटी, पराठे जैसे खाद्य उत्पादों पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा। वित्‍त मंत्री ने कहा कि यह केवल जीएसटी में सुधार नहीं है, बल्कि संरचनात्मक सुधारों और लोगों के जीवन को सुगम बनाने की दिशा में उठाया गया कदम है।

वित्त मंत्री ने जीएसटी परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के बाद सकल घरेलू उत्‍पाद (जीडीपी) पर इसका बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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Author: lakshyatak

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