
डा. शकील अहमद ने कांग्रेस पार्टी से दिया इस्तीफा, कहा- कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों का शुभचिंतक और समर्थक बना रहूंगा
मतदान समाप्त होने के बाद कर रहा हूँ, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मतदान से पहले कोई गलत संदेश जाये और मेरी वजह से पार्टी को पाँच वोट का भी नुकसान हो
दिल्ली- 11 नवंबर। पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. शकील अहमद ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होने अपना इस्तीफ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया। शकील अहमद ने राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजे गए इस्तीफे में कहा है कि आपके नाम लिखे मेरे 16 अप्रैल 2023 के पत्र का स्मरण करें। जिसके द्वारा मैंने पार्टी को सूचित किया था कि मैं अब भविष्य में कभी चुनाव नहीं लडूंगा। अभी हाल ही में मैंने यह घोषणा भी कर दिया था कि मेरे तीनों पुत्र कनाडा में रहते हैं और उनमें से किसी की भी राजनीति में शामिल होने में कोई रुचि नहीं है, इसलिए वह भी चुनाव नहीं लड़ेंगे। लेकिन मैं फिर भी जीवन भर कांग्रेस में बना रहूंगा। परन्तु अध्यक्ष महोदय यह अब संभव नहीं लगता है।
बहुत ही दुखी मन से मैंने कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देने का फैसला लिया है। पार्टी की सदस्यता से अलग होने का यह मतलब नहीं है कि मैं किसी दूसरी पार्टी या दल में शामिल हो रहा हूँ। मेरा किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है। अपने पूर्वजों की तरह मुझे भी कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों में अटूट विश्वास है और मैं जीवन भर कांग्रेस की नीतियों और सिद्धांतों का शुभचिंतक और समर्थक बना रहूंगा तथा मेरे जीवन का अंतिम वोट भी कांग्रेस के पक्ष में ही गिरेगा। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि मेरे दादा स्व० अहमद गफूर 1937 में कांग्रेस के विधायक चुने गये थे। 1948 में उनकी मृत्यु के बाद मेरे पिता शकूर अहमद 1952 से 1977 के बीच पाँच बार कांग्रेस पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये और अलग-अलग पदों पर रहे। 1981 में मेरे पिता के स्वर्गवास होने के बाद 1985 के बाद स्वयं मैं भी पाँच बार कांग्रेस का विधायक और सांसद चुना जा चुका हूँ।
पार्टी की सदस्यता त्यागने का फैसला तो मैंने पहले ही कर लिया था, परन्तु इसकी घोषणा आज मतदान समाप्त होने के बाद कर रहा हूँ, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मतदान से पहले कोई गलत संदेश जाये और मेरी वजह से पार्टी को पाँच वोट का भी नुकसान हो। अस्वस्थ रहने के कारण मैं प्रचार तो नहीं कर सका मगर उम्मीद है कि इस बार कांग्रेस की सीटें भी बढ़ेंगी और हमारे गठबंधन की एक मजबूत सरकार बनेगी। अंत में एक बार फिर कहूंगा कि मेरा मतभेद वर्तमान में पार्टी की सत्ता में बैठे कुछ व्यक्तियों से हो सकता है, मगर पार्टी की नीतियों और सिद्धांतों पर मुझे अटूट विश्वास है। कृप्या मेरे इस पत्र को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा माना जाये।



