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Delhi सरकार ने खत्म की आय सीमा, सभी पंजीकृत कश्मीरी विस्थापितों को मिलेगा राहत भत्ता

नई दिल्ली- 02 अक्टूबर। कश्मीरी विस्थापितों की पीड़ा को समझते हुए दिल्ली सरकार ने एक ऐतिहासिक और मानवीय निर्णय लिया है। सरकार ने कश्मीरी विस्थापितों को दी जाने वाली राहत राशि का सरलीकरण कर दिया है, जिसमें उनकी पारिवारिक आय सीमा को खत्म करना भी शामिल है। सरकार शीघ्र ही उन्हें राहत राशि देने की प्रकिया शुरू करेगी।

इस निर्णय के बारे में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को बताया कि 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद की विभीषिका के कारण अपने घर-आंगन छोड़ने पर मजबूर हजारों कश्मीरी हिन्दू परिवार दिल्ली और एनसीआर के विभिन्न हिस्सों में आ बसे। इन परिवारों को जीवनयापन के लिए सरकार की ओर से ‘एड-हॉक मंथली रिलीफ’ के रूप में राहत राशि दी जाती रही है। लेकिन, समय के साथ बनी कठोर नीतियों और पुराने नियमों ने उनके जीवन को और कठिन बना दिया। खासकर आय सीमा की शर्त और परिवार के रिकॉर्ड को अपडेट न कर पाने की जटिलता ने कई विस्थापित परिवारों को वर्षों तक परेशान रखा, इसका परिणाम यह निकला कि पिछले डेढ़ साल से यह राहत राशि वितरित नहीं हो पा रही थी। मुखमंत्री के अनुसार उन्होंने एवं शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कश्मीरी विस्थापितों को बुलाकर उनकी समस्याएं सुनीं

, जिसके बाद राजस्व विभाग को आदेश जारी किए गए। अब इन समस्याओं को समाप्त करने के लिए दिल्ली सरकार ने दो बड़े और ऐतिहासिक निर्णय लिए हैं।

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि नए निर्णय के तहत सरकार ने 26,800 रुपये मासिक आय सीमा की शर्त को समाप्त कर दिया है। अब सभी पंजीकृत कश्मीरी विस्थापित परिवारों को उनकी वर्तमान आय की परवाह किए बिना राहत भत्ता जारी किया जाएगा। यह कदम इस मान्यता को दर्शाता है कि राहत कोई दान नहीं,बल्कि ऐतिहासिक विस्थापन के कारण मिलने वाला अधिकार है, जो केवल मानवीय आधार पर दिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री के अनुसार सरकार ने ‘विशेष अवसर योजना’ लागू करने का भी निर्णय लिया है, जिसके तहत सभी विस्थापित परिवारों को अपने परिवार के वर्तमान सदस्यों का विवरण दर्ज करने का एक बार अवसर मिलेगा। इस प्रक्रिया में पुराने रिकॉर्ड को बिना किसी भय या पूर्व भुगतान की वसूली के अपडेट किया जा सकेगा। इससे वर्षों से अटकी पारिवारिक सूचियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता आएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि सितंबर 2025 तक का समस्त बकाया राहत भत्ता जारी किया जाएगा, ताकि प्रभावित परिवारों को तत्काल आर्थिक राहत और भरोसा मिल सके। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राजधानी में करीब 1800 कश्मीरी विस्थापित निवास करते हैं। नियमों के अनुसार हर परिवार में अधिकतम चार लोगों को यह राहत राशि प्रदान करने का प्रावधान है। प्रत्येक सदस्य को मिलने वाली राहत राशि 3250 रुपये प्रतिमाह है। यानी एक परिवार को करीब 13 हजार रुपये मिलेंगे।

मुख्यमंत्री का कहना है कि यह कदम न केवल राहत वितरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करेगा बल्कि जम्मू-कश्मीर में पहले से लागू राहत व्यवस्थाओं के अनुरूप समानता भी सुनिश्चित करेगा। सबसे बढ़कर यह निर्णय विस्थापित समुदाय की असाधारण पीड़ा को सम्मानपूर्वक स्वीकार करता है और उनकी दशकों पुरानी व्यथा पर सरकार का मानवीय मरहम रखता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार का यह निर्णय केवल आर्थिक राहत नहीं,बल्कि एक नैतिक और मानवीय प्रतिबद्धता का प्रतीक है। कश्मीरी विस्थापित परिवारों ने अपने वतन,अपनी जड़ों और पहचान का जो नुकसान झेला है, उसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। अब दिल्ली केवल उनका ठिकाना नहीं, बल्कि उनका अपना घर है। उन्होंने यह भी कहा कि ये देश के वे नागरिक हैं, जिन्होंने अपना घर, ज़मीन और पहचान खो दी, लेकिन राष्ट्र के प्रति अपनी आस्था और संस्कृति से कभी समझौता नहीं किया। तीन दशकों से अधिक समय तक दिल्ली ने उन्हें शरण दी, अब समय है कि हम उन्हें सम्मान और सुरक्षा भी दें।

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