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Chhattisgarh:- नक्सलियों ने सरकार काे दी चुुनाैती, जारी किया 22 पन्नाें का बुकलेट

जगदलपुर- 16 जुलाई। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी ने 22 पन्नों का बुकलेट जारी किया है। बुकलेट में कई राज्यों के नक्सलियों को मिशन 2026 को विफल करने के लिए सेंट्रल कमेटी एवं पोलित ब्यूरो की बनाई गई रणनीति पर ट्रेनिंग लेने का निर्देश दिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार एवं केंद्र सरकार का दावा है कि 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ नक्सलवाद के खात्में काे लेकर केंद्र सरकार के मिशन-2026 को विफल करने के लिए अब नक्सली संगठन की सेंट्रल कमेटी ने भी रणनीति बनाई है। जारी बुकलेट में कमेटी ने ट्रेनिंग में लंबी यात्राएं, भूखे रहना और फोर्स का घेरा तोड़ने समेत कई रणनीतियाें काे शामिल किया गया है। नक्सलियाें के सेंट्रल कमेटी की बुकलेट के अनुसार नक्सलवाद खत्म करने के केंद्र व राज्य सरकार का मिशन 2026 को विफल करने के लिए नक्सली उच्च स्तर का प्रशिक्षण ले रहे हैं। जारी बुकलेट काे लेकर हिन्दुस्थान समाचार आधिकारिक दावा नहीं करता है। इस संबंध में बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने कहा कि नक्सली यह अच्छी तरह से जान चुके हैं कि उनका अंत अब निश्चित है। उनके सेंट्रल कमेटी के सदस्य अपने काे नहीं बचा सके और मारे गए हैं। इसके साथ ही निचले कैडर्स के नक्सली संगठन छोड़कर भाग रहे हैं। इसलिए नक्सली संगठन में बचे कुछ लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं। नक्सलियों द्वारा जारी बुकलेट के अनुसार लगातार हो रही नुकसान एवं बड़े कैडर के नक्सलियाें के मारे जाने के बाद अब नक्सल संगठन के लड़ाके कुछ बारीकियों को सीख रहे हैं। जैसे मुठभेड़ के दौरान कमान संभालना, नए तरीके और युद्धाभ्यास, घेरा तोड़ने की तकनीक, कई दिनों तक भूख सहन करना और लंबी यात्राएं करना आदि का अभ्यास किया जा रहा है।

वहीं, नक्सलियाें की केंद्रीय कमेटी का कहना है कि 2024 से अब तक हुए नुकसान की समीक्षा की गई है। सेंट्रल कमेटी ने पहले कुछ रणनीतियां बनाई थी, जिस पर काम नहीं होने से संगठन को बड़ा नुकसान हुआ है। अब सरकार के मिशन-2026 को विफल करने राजनैतिक और सैन्य रणनीतियां बनाई गई है, जिस पर काम किया जा रहा है। नक्सलियाें बड़ी संख्या में मारे जाने का सेंट्रल कमेटी ने बारीक विश्लेषण किया है। जारी बुकलेट में कहा गया है कि ऑपरेशन के दौरान हजारों की संख्या में सुरक्षाबल के जवान लगभग 20 किमी के दायरे को घेरती है, घेराबंदी कर तलाशी ली जाती है, फिर मारते हैं। सुरक्षाबलाें के लगातार हो रहे हमले को लेकर उनका कहना है कि सुरक्षाबल औसतन हर 15-20 दिनों में एक बार बड़ा हमला कर रही है। इन हमलों में नक्सलियों के पीएलजीए स्थानीय साथियाें सहित 10 से 35 नक्सली मारे जा रहे हैं । मारे जाने वाले साथियों की उम्र 16-17 साल से लेकर 80-90 साल तक है। इनमें नक्सली संगठन के सामान्य सदस्यों से लेकर बड़े कैडर के नक्सली शामिल हैं। नक्सल संगठन ने दावा किया है कि लगभग हर हमले में पुलिसकर्मी भी मारे जाते हैं, वही कई घायल होते हैं। सुरक्षाबलाें के हर एक हमले में 2-2 दिनों तक उनके साथी लड़ते हैं, हजारों जवानों के घेरे को तोड़कर बाहर निकलते हैं।

नक्सलियों ने यह स्वीकार किया है कि नक्सलबाड़ी के बाद पहली बार देश में एक वर्ष में उनके संगठन के 4 सेंट्रल कमेटी मेंबर और 16 स्टेट कमेटी मेंबर मारे गए हैं, यह नक्सल संगठन की बड़ी क्षति है। इस क्षति का क्रांतिकारी आंदोलन में लंबे समय तक बड़ा विपरीत प्रभाव पड़ेगा। नक्सलियों की सेंट्रल कमेटी की तरफ से कहा गया है कि, वर्ष भर में देश के अलग-अलग राज्यों में उनके कुल 357 साथी मारे गए हैं। इनमें 136 महिला नक्सली भी शामिल हैं। सबसे ज्यादा दंडकारण्य में 281 नक्सली ढेर हुए हैं। इसमें नक्सल संगठन के महासचिव बसवा राजू समेत सेंट्रल कमेटी के 4 सदस्य, स्टेट कमेटी के 16 सदस्य मारे गए हैं, जबकि कुछ महीने पहले भी नक्सलियों के सेंट्रल कमेटी के प्रवक्ता ने पर्चा जारी किया था। इसमें डेढ़ वर्ष में 400 से ज्यादा नक्सलियों के मारे जाने का जिक्र किया गया था। वहीं पुलिस के अनुसार पिछले डेढ़ वर्ष में सिर्फ बस्तर में ही लगभग 420 से ज्यादा नक्सलियों ढेर किया जा चुका है। नक्सलियाें के प्रशिक्षण से यह प्रश्न उठता है कि क्या बाैखलाये नक्सली सुरक्षाबलाें पर कोई बड़ा हमला करने की याेजना बना रहे हैं? इस पर अभी संशय बना हुआ है।

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